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Hindi Typing For Mp Highcourt Exam and other (Neetesh Gour)
created Sunday June 29, 14:25 by Neetesh Gour
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बीते सप्ताह पूरी दुनिया ने योग दिवस मनाया, लेकिन योग केवल एक दिन के लिए सीमित नहीं है। योग शब्द वैदिक काल का शब्द है। इसका मूल व सबसे सरल अर्थ है-दो वस्तुओं को जोड़ना। उदाहरण के तौर पर अश्व या बैल को किसी गाड़ी से जोड़ना। स्पष्ट रूप से कहना हो तो योग का अर्थ दो धारणाओं या दो वस्तुओं में संरेखण करना है। स्वस्थ रहने के लिए किए जाने वाले योग के अभ्यास में भी योग का यही अर्थ होता है। संदर्भ के अनुसार, ये जोड़ विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं। हम मन को शरीर से, श्वास को मन से या मन, श्वास और शरीर तीनों को एक-दूसरे से जोड़ सकते हैं। हम किसी व्यक्ति और समाज के बीच के जोड़ को योग कह सकते हैं या फिर किसी रिश्ते में दो लोगों के बीच के संबंध को योग कह सकते हैं, जैसे पति और पत्नी, माता/पिता और बालक या फिर शिक्षक और छात्र के बीच के संबंध को। धार्मिक संदर्भ में श्रद्धाुल और देवता के बीच के संबंध को भी योग कहा जा सकता है। योग का अभ्यास हमें हमारे भीतर और बाहर अनुशासन, संरेखण और जोड़ का निर्माण करने में मदद करता है। अपने भीतर हम यह समन्वय शरीर के विभिन्न अंगों में और शरीर की प्रणालियों में निर्मित कर सकते हैं, जबकि बाहर हम यह अन्य लोगों और विश्व के साथ व्यक्तिगत तथा सामूहिक स्तर पर निर्मित कर सकते हैं। हमें योग की सबसे प्रसिद्ध परिभाषा 2,000 वर्ष पहले लिखे गए येाग सूत्र से मिलती है। उसके अनुसार योग चित्त वृत्ति निरोध है अर्थात उससे मन की गांठें खुल जाती हैं। ये वो गांठें हैं, जो जीवन में अनुभव किए गए भय और चिंता के कारण हमारे मन में निर्मित होती हैं। सैंकड़ों या हजारों वर्ष पहले हमें जीवित रहने के लिए प्रतिदिन भोजन ढूंढना पड़ता था। इतना ही नहीं, हमें प्रतिदिन जंगली प्राणियों से बचना पड़ता था। आज आधुनिक जीवन के तनावों ने इस भय और चिंता की जगह ले ली है। इस कारण पहले की तरह हम आज भी सदा फाइट या फ्रीज की अवस्था में जीते हैं और हमारा मन गांठों में बंध जाता है। योग वह अभ्यास है, जिससे ये गांठें खुल जाती हैं और हम विश्व के साथ संरेखित हो जाते हैं। यह संरेखण प्राप्त करने के विभिन्न तरीके हैं। पतंजलि ऋषि उन सभी तरीकों को विस्तारपूर्वक और सरल ढंग से संकलित करने के लिए प्रसिद्ध हैं। पतंजलि के अष्टांग योग के माध्यम से हम बाहर से भीतर तक प्रवास करते हैं। ये आठ अंग हैं- यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि। यम जीवन के सामाजिक पहलुओं से संबंधित है। उसके पालन से हम हमारे आस-पास के लोगों के साथ उचित व्यवहार कर पाते हैं। दूसरी ओर, नियम के पालन से हम अपने स्वयं के जीवन में अनुशासन लाते हैं। इस प्रकार, नियम अत्यंत व्यक्तिगत है। हम हमारे रिश्तों से संबंधित है और नियम अपने आप से संबंधित है। हूमारे शरीर से संबंधित आसन का भाग अष्टांग योग का तीसरा और सबसे लोकप्रिय अंग है। प्राणायाम के माध्यम से हम अपनी श्वास को नियंत्रित करना सीखते हैं।
