Text Practice Mode
for junior assistant
created Jul 6th 2016, 14:13 by ajaykushwaha1156965
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अयोध्या के भूपति श्री दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र श्री राम चन्द्र जी ने रावण से घमासान युद्ध में उसकी नाभि में अमृत का भेद ज्ञात हो जाने पर झटपट रथ पर चढ़कर अपने प्रचण्ड बाणों का उसकी नाभि पर ऐसा प्रहार किया जिससे कुछ ही क्षणों में उसके प्राण पखेरू उड़ गये। ऋषियों का कहना है कि ऐसा विद्यावान मनुष्य अर्थात रावण की प्रकृति वाला व्यक्ति कभी सफल नहीं हो सकता इसलिए मनुष्य को कभी घमण्ड नहीं करना चाहिए।
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