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योग दिवस के बहाने साम्प्रदायिकता थोपने की कोशिश ?

created May 18th 2016, 19:19 by ANSHUMAN


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इंडियन मुस्लिम लीग के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अब्दुल गनी ने कहा कि केंद्र सरकार योग का भी राजनीतिकरण करने पर उतारु है, जबकि योग किसी एक धर्म का नहीं है। डॉ. गनी ने कहा कि योग में ओम कहलवाने का प्रस्ताव सरासर गलत है। जबरन ‘ओम’ कहलवाने की कोशिश बर्दाश्त नहीं की  जाएगी।  दूसरी ओर हिन्दू धर्माचार्यों ने मौलानाओं की एैतराज को गलत बताते हुए कहा कि ओम के उच्चारण से स्वर तंत्रिकाएं मजबूत होती हैं  ‘ओम’ स्वर तंत्रिकाओं का बेहद उपयोगी योग है। इस पर आपत्ति करना सरासर गलत है। अयोध्या के प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी के महंथ ज्ञानदास ने कहा कि योग को राजनीति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि योग में किसी भी चीज को अनिवार्य नहीं किया जाना चाहिए लेकिन ओम भी योग का ही एक हिस्सा है। योग स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है। योग से मन-मस्तिष्क दोनो स्वस्थ होते हैं। भाईचारा में खलल डालने की अनुमति योग नहीं देता है। ओम से यदि स्वास्थ्य को लाभ होता है तो मौलानाओं को इस पर एतराज नहीं करना चाहिए। स्वामी राजकुमार दास मुस्लिम धर्माचार्यों की आपत्ति को बेवजह बताते हैं। उनका कहना है कि ओम का व्यापक अर्थ है, इसे किसी खास धर्म से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। योग में ओम का एक मतलब है, इसका विरोध नहीं होना चाहिए। ओम एकाग्रचित करने में मदद करता है।  गौरतलब है कि इस बार योग दिवस 21 जून को आयोजित योग में ओम को खासतौर पर शामिल किए जाने का प्रस्ताव है।

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