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योग दिवस के बहाने साम्प्रदायिकता थोपने की कोशिश ?

created May 18th 2016, 19:11 by ANSHUMAN


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योग दिवस 21 जून को आयोजित शिविरों में योग के दौरान ‘ओम’ का उच्चारण किए जाने की अनिवार्यता पर मुस्लिम धर्मगुरुओं ने एैतराज जताया है। मुस्लिम धर्मगुरुओं का कहना है कि ‘ओम’ एक धर्म विशेष की ओर संकेत करता है। आमतौर पर उसी धर्म के लोग इसका प्रयोग करते हैं, इसलिए इसे सभी पर थोपा नहीं जाना चाहिए। लखनऊ के मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि योग से उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। योग तो हर आम-ओ-खास को करना ही चाहिए। इससे सेहत ठीक रहती है, लेकिन इसका राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए। मौलाना फरंगी महली ने कहा कि योग में ‘ओम’ को जबरन थोपना गलत है। ‘ओम’ के उच्चारण की अनुमति इस्लाम नहीं देता। उनका कहना था कि कोई भी चीज किसी पर थोपी नहीं जानी चाहिए। जिसकी इच्छा हो योग करे, जिसकी हो करे लेकिन योग में ‘ओम’ का तो कोई औचित्य ही नहीं है। सिर्फ राजनीतिक कारणों से योग में ओम बोलने के लिए दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है।

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