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CPCT CENTER जिला पंचायत उमरिया (म.प्र.) संपर्क:- 9301406862
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प्रेम या इश्क व समाज का चुनाव एक गहरा सवाल है, क्योंकि दोनों ही मानव जीवन के लिए जरूरी हैं, लेकिन अक्सर एक-दूसरे के विरुद्ध खड़े दिखते हैं; प्रेम व्यक्तिगत ज़ुडाव और आनंद देता है, जबकि समाज सुरक्षा और व्यवस्था, लेकिन सामाजिक दबाव प्रेम को सीमित कर सकता है, जबकि प्रेम-आधारित समाज सद्भाव और प्रगति का मार्ग दिखाता है, और सच्चे प्रेम के लिए व्यक्तिगत और सामाजिक मूल्यों का संतुलन ज़रूरी है, जहॉं प्रेम, सौहार्द और न्याय साथ-साथ चल सकें। न कि एक-दूसरे से टकराऍं।
प्रेम के पक्ष में (व्यक्तिगत)
प्रेम व्यक्तिगत खुशी, जुड़ाव और भावनात्मक पूर्ति देता है, जो जीवन को अर्थ देता है।
प्रेम हमें चलीसा बनाता है और खुद को बेहतर बनाने के लिए प्रेरित करता है, जिससे चेतना का विकास होता है।
सच्च प्रेम व्यक्ति को बांधता नहीं, बल्कि उसे अपनी पहचान मिटाकर दूसरे के साथ एकाकार होने का अवसर देता है, जो मुक्तिदायक है।
समाज के पक्ष में (सामाजिक)
समाज प्रेम (भाईचारे, सौहार्द के आधार पर बनता है,य जो संघर्ष को कम करता है और सामूहिक सुरक्षा देता है।
सामाजिक प्रेम (भाईचारा, सहयोग) समाज को एकजुट कर प्रगति की ओर ले जाता है, जैसे त्योहारों और मुश्किल समय में।
सामाजिक प्रेम के कारण ही लोग एक-दूसरे के प्रति जवाबदेह महसूस करते हैं और नैतिक मूल्यों (सहिष्णुता, सम्मान) का पालन करते हैं।
टकराव व समाधार
अक्सर, समाज के रूढि़वादी नियम (जाति, वर्ग, अमीर-गरीब) व्यक्तिगत प्रेम के रास्ते में बाधा बनते हैं, जिससे प्रेम बनाम समाज की स्थिति बनती है।
प्रेम और समाज को अलग करने के बजाय, उन्हें जोड़ने की जरूरत है, समाज को प्रेम को एक ''साधन'' के रूप में देखना चाहिए, जो न्याय, करुणा और आपसी समझ पर आधारित हो। व्यक्तिगत प्रेम को भी समाज के भले के लिए देखना चाहिए।
निष्कर्ष:-
चुनाव प्रेम या समाज का नहीं, बल्कि प्रेम-आधारित समाज बनाने का है, हमें ऐसे समाज की जरूरत है जहॉं प्रेम व्यक्तिगत ज़रूरतों को कुचले बिना, सभी के लिए सुरक्षित और न्यायपूर्ण वातारण बनाए। यह संभव है जब हम प्रेम को केवल रोमांटिक रिश्ते तक सीमित न रखें, बल्कि उसे भाईचारे, सहानुभूति और न्याय के रूप में देखें जो समाज को मज़बूत बनाता है।
प्रेम के पक्ष में (व्यक्तिगत)
प्रेम व्यक्तिगत खुशी, जुड़ाव और भावनात्मक पूर्ति देता है, जो जीवन को अर्थ देता है।
प्रेम हमें चलीसा बनाता है और खुद को बेहतर बनाने के लिए प्रेरित करता है, जिससे चेतना का विकास होता है।
सच्च प्रेम व्यक्ति को बांधता नहीं, बल्कि उसे अपनी पहचान मिटाकर दूसरे के साथ एकाकार होने का अवसर देता है, जो मुक्तिदायक है।
समाज के पक्ष में (सामाजिक)
समाज प्रेम (भाईचारे, सौहार्द के आधार पर बनता है,य जो संघर्ष को कम करता है और सामूहिक सुरक्षा देता है।
सामाजिक प्रेम (भाईचारा, सहयोग) समाज को एकजुट कर प्रगति की ओर ले जाता है, जैसे त्योहारों और मुश्किल समय में।
सामाजिक प्रेम के कारण ही लोग एक-दूसरे के प्रति जवाबदेह महसूस करते हैं और नैतिक मूल्यों (सहिष्णुता, सम्मान) का पालन करते हैं।
टकराव व समाधार
अक्सर, समाज के रूढि़वादी नियम (जाति, वर्ग, अमीर-गरीब) व्यक्तिगत प्रेम के रास्ते में बाधा बनते हैं, जिससे प्रेम बनाम समाज की स्थिति बनती है।
प्रेम और समाज को अलग करने के बजाय, उन्हें जोड़ने की जरूरत है, समाज को प्रेम को एक ''साधन'' के रूप में देखना चाहिए, जो न्याय, करुणा और आपसी समझ पर आधारित हो। व्यक्तिगत प्रेम को भी समाज के भले के लिए देखना चाहिए।
निष्कर्ष:-
चुनाव प्रेम या समाज का नहीं, बल्कि प्रेम-आधारित समाज बनाने का है, हमें ऐसे समाज की जरूरत है जहॉं प्रेम व्यक्तिगत ज़रूरतों को कुचले बिना, सभी के लिए सुरक्षित और न्यायपूर्ण वातारण बनाए। यह संभव है जब हम प्रेम को केवल रोमांटिक रिश्ते तक सीमित न रखें, बल्कि उसे भाईचारे, सहानुभूति और न्याय के रूप में देखें जो समाज को मज़बूत बनाता है।
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