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CPCT EXAM PAPER 27SEPTEMBER 2025 HINDI SHIFT 1 FOR STUDY CPCT GO TO KHARE SIR CLASSES ON YOUTUBE https://www.youtube.com/@kharesirclasses
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वैसे तो हमारे हिंदुओ के बहुत परव होते है और सभी की अपनी अपनी अलग ही अहमियत होती है। जिनको हम उमंग के साथ मनाते है। उनमें से ही
एक भैया दूज है। जो कि भाई बहन के रिशतों का प्रतीक माना जाता है। भारतीय समाज मे इस की विशेष जगह है। वैसे हमारे भारत समाज ही
काफी है। इन संबंधों को मजबूत करने के लिए परंतु इन संबंधों में और मजबूती और प्रेम को बढाने के लिए ही भाई दूज को मनाने की परंपरा है।
जिनको हमारे हिंदू समुदाय मे देवी देवताओं के मनाने के कारण ही हमारे समाज में इस को जरूरी जगह दी है और पौराणिक काल से चले आ रहे
हैं। इसलिये भी हम पूरी भावना और उमंग के साथ मनाते हैं। इनको बदलना और इसमें कुछ भी बदलाव लाने हम कभी भी कोई कोशिश नही करते
है और इसलिए भाई दूज संबंधों को मजबूती प्रदान करने वाला है। साधारण बोलचाल कि भाषा मे दीवाली के दूसरे दिन इसे मनाने की परंपरा है।
हिंदू समाज मे भाई दूज को भाई बहन के नाते का प्रतीक माना जाता है। इस को बहुत ही उमंग के साथ मनाने की परंपरा है। इस की सबसे अधिक
अहमियत भाई बहन के नाते को मजबूत करने के नजरिये से बेहद जरूरी है। इसके लिए जहां बहन अपने भाई को तिलक करके उसकी लंबी आयु
की कामना करती है। वही भाई भी अपनी बहन को कोई ना कोई उपहार देकर अपना प्रेम और लगाव दिखाता है। दीवाली के दो दिन बाद मनाने
वाले भाई दूज के पीछे कई ऐतिहासिक और पौराणिक कथा मिलती है। उन पौराणिक कथाओं के अनुसार एक कथा इस प्रकार है की भगवान सूरय
नारायण की बीवी का नाम छाया था। यम और यमुना नाम के पुत्र और पुत्री को जनम दिया था। जब यमुना का विवाह हो गया तब यमुना अपने भाई
यम को भोजन ग्रहण करने के लिए बुलाती थी। यम ने कई बार अपनी बहन का आफर ठुकरा दिया वो सोचने लगा कि इस धरती पर कोई भी नही
चाहेगा कि मैं उसके घर आउ। इसलिये कि मैं तो प्राणों को हरने वाला यमराज हूं। पर मेरी बहन फिर भी मेरे को बार बार आग्रह करके बुलाना
चाहती है। लेकिन कई बार अपनी बहन के आग्रह करने पर यम अपनी बहन के घर गए। जाने से पहले यमराज ने राह में आये जो भी नरकवासी थे
उनको उनके पाप से आजाद कर दिया और जब बहन के घर गए तो बहन की खुशी का ठिकाना नही रहा। सबसे पहले वह नहा कर अपने भाई को
माथे पर तिलक करके तरह तरह के खाने परोसने लगी और जब भाई यम जाने लगा तो उसने अपनी बहन यमुना को वरदान दिया कि आज के दिन
जो भी बहन यमुना में नहा कर अपने भाई को तिलक करके भोजन करवाएगी तो उसको और उसके भाई को यमराज का भी डर नही होगा। इस
दिन बहन अपने भाई को भोजन के लिए आमंत्रित करती है। भोजन में खीर पूडी और जो भी खाना होता है और जिनको बनाने की परंपरा है। परंतु
ये सब नही भी हो तो चावल की खीर या चावल का कोई भी पकवान बनाने को अधिक अहमियत दी जाती है। भोजन बनाकर भाई को कुमकुम और
हलदी और चंदन आदि का तिलक करती है। ये भी रक्षाबंधन के जैसा ही है। लेकिन थोडा सा अलग है।
एक भैया दूज है। जो कि भाई बहन के रिशतों का प्रतीक माना जाता है। भारतीय समाज मे इस की विशेष जगह है। वैसे हमारे भारत समाज ही
काफी है। इन संबंधों को मजबूत करने के लिए परंतु इन संबंधों में और मजबूती और प्रेम को बढाने के लिए ही भाई दूज को मनाने की परंपरा है।
जिनको हमारे हिंदू समुदाय मे देवी देवताओं के मनाने के कारण ही हमारे समाज में इस को जरूरी जगह दी है और पौराणिक काल से चले आ रहे
हैं। इसलिये भी हम पूरी भावना और उमंग के साथ मनाते हैं। इनको बदलना और इसमें कुछ भी बदलाव लाने हम कभी भी कोई कोशिश नही करते
है और इसलिए भाई दूज संबंधों को मजबूती प्रदान करने वाला है। साधारण बोलचाल कि भाषा मे दीवाली के दूसरे दिन इसे मनाने की परंपरा है।
हिंदू समाज मे भाई दूज को भाई बहन के नाते का प्रतीक माना जाता है। इस को बहुत ही उमंग के साथ मनाने की परंपरा है। इस की सबसे अधिक
अहमियत भाई बहन के नाते को मजबूत करने के नजरिये से बेहद जरूरी है। इसके लिए जहां बहन अपने भाई को तिलक करके उसकी लंबी आयु
की कामना करती है। वही भाई भी अपनी बहन को कोई ना कोई उपहार देकर अपना प्रेम और लगाव दिखाता है। दीवाली के दो दिन बाद मनाने
वाले भाई दूज के पीछे कई ऐतिहासिक और पौराणिक कथा मिलती है। उन पौराणिक कथाओं के अनुसार एक कथा इस प्रकार है की भगवान सूरय
नारायण की बीवी का नाम छाया था। यम और यमुना नाम के पुत्र और पुत्री को जनम दिया था। जब यमुना का विवाह हो गया तब यमुना अपने भाई
यम को भोजन ग्रहण करने के लिए बुलाती थी। यम ने कई बार अपनी बहन का आफर ठुकरा दिया वो सोचने लगा कि इस धरती पर कोई भी नही
चाहेगा कि मैं उसके घर आउ। इसलिये कि मैं तो प्राणों को हरने वाला यमराज हूं। पर मेरी बहन फिर भी मेरे को बार बार आग्रह करके बुलाना
चाहती है। लेकिन कई बार अपनी बहन के आग्रह करने पर यम अपनी बहन के घर गए। जाने से पहले यमराज ने राह में आये जो भी नरकवासी थे
उनको उनके पाप से आजाद कर दिया और जब बहन के घर गए तो बहन की खुशी का ठिकाना नही रहा। सबसे पहले वह नहा कर अपने भाई को
माथे पर तिलक करके तरह तरह के खाने परोसने लगी और जब भाई यम जाने लगा तो उसने अपनी बहन यमुना को वरदान दिया कि आज के दिन
जो भी बहन यमुना में नहा कर अपने भाई को तिलक करके भोजन करवाएगी तो उसको और उसके भाई को यमराज का भी डर नही होगा। इस
दिन बहन अपने भाई को भोजन के लिए आमंत्रित करती है। भोजन में खीर पूडी और जो भी खाना होता है और जिनको बनाने की परंपरा है। परंतु
ये सब नही भी हो तो चावल की खीर या चावल का कोई भी पकवान बनाने को अधिक अहमियत दी जाती है। भोजन बनाकर भाई को कुमकुम और
हलदी और चंदन आदि का तिलक करती है। ये भी रक्षाबंधन के जैसा ही है। लेकिन थोडा सा अलग है।
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