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CPCT TYPING जिला पंचायत उमरिया संपर्क 9301406862
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बीर बाल दिवस हर साल 26 दिसंबर को मनाया जाता है, भारत में एक राष्ट्रीय स्मृति दिवस है जो दसवें सिख गुरु, गुरु गोविन्द सिंह जी के छोटे बेटों की असाधारण वीरता और शहादत को याद करता है। यह उत्सव विशेष रूप से साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह पर केंद्रित हैं; उन्होनें मुगल साम्राज्य के शासनकाल में हर विपरीत परिस्थिति का सामना करते हुए असाधारण वीरता का परिचय दिया।
वीरबाल दिवस का उत्सव 26 दिसंबर 1705 से मनाया जाता है, जब वज़ीर खान के नेतृत्व वाली मुगल सेना ने दो युवा सहिबजादों को बंदी बना लिया था। क्रमश: केवल नौ और छ: वर्ष की आयु के इन दोनों बच्चों पर अपने धर्म को त्यागकर इस्लाम धर्म अपनाने का अत्यधिक दबाव डाला गया; परन्तु दोनों बच्चों ने अपने विश्वास पर अडिग रहने का निश्चय किया। उनके इस अडिग रुख के कारण ही उनकी क्रूरतापूर्वक हतया कर दी गई। उनके अवज्ञा के दंड स्वरूप उन्हें जिंदा ही ईंटों से चुनवा दिया गया। शहादत का यह शक्तिशाली कृत्य हमें धर्म और न्याय के नाम पर किए गए बलिदानों की याद दिलाती है।
इस दिवस को मनाने का निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 जनवरी, 2022 को लिया था, जो भारत के इतिहास में बच्चों के योगदान को मान्यता देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। पहला अधिकारिक आयोजन 26 दिसंबर, 2023 को हुआ, जिसमें युवा पीढि़ को चलीचेपन और नैतिक अखंडता के बारे में सिखाने के महत्व पर जोर दिया जाता है।
वीर बाल दिवस 2024 का विषय पराक्रम और नई सोच का निर्माण करना है। यह दिन न केवल साहिबजादों की स्मृति का दिन है बल्कि भारतीय युवाओं को साहस, ईमानदारी और निस्वार्थता जैसे मूल्यों को अपने जीवन मे अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने का एक मंच है।
नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में 26 दिसंबर 2024 को एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। प्रधानंत्री मोदी इस राष्ट्रीय कार्यक्रम में शामिल होंगे, जिसमें बच्चों के बेहतर पोषण और कल्याण के लिए कुछ पहलों का शुभारंभ किया जाएगा। पोषण संबंधी परिणामों में सहभागिता बढा़ने के लिए सुपोषित पंचायत अभियानों के शुरुआत की जाएगी। इसके अतिरिक्त, कला संस्क्रति, वीरता, नवाचार, विज्ञान, खेल और सामाजिक सेवा के क्षेत्रों में उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए 17 बच्चें को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरुस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
वीरबाल दिवस का उत्सव 26 दिसंबर 1705 से मनाया जाता है, जब वज़ीर खान के नेतृत्व वाली मुगल सेना ने दो युवा सहिबजादों को बंदी बना लिया था। क्रमश: केवल नौ और छ: वर्ष की आयु के इन दोनों बच्चों पर अपने धर्म को त्यागकर इस्लाम धर्म अपनाने का अत्यधिक दबाव डाला गया; परन्तु दोनों बच्चों ने अपने विश्वास पर अडिग रहने का निश्चय किया। उनके इस अडिग रुख के कारण ही उनकी क्रूरतापूर्वक हतया कर दी गई। उनके अवज्ञा के दंड स्वरूप उन्हें जिंदा ही ईंटों से चुनवा दिया गया। शहादत का यह शक्तिशाली कृत्य हमें धर्म और न्याय के नाम पर किए गए बलिदानों की याद दिलाती है।
इस दिवस को मनाने का निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 जनवरी, 2022 को लिया था, जो भारत के इतिहास में बच्चों के योगदान को मान्यता देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। पहला अधिकारिक आयोजन 26 दिसंबर, 2023 को हुआ, जिसमें युवा पीढि़ को चलीचेपन और नैतिक अखंडता के बारे में सिखाने के महत्व पर जोर दिया जाता है।
वीर बाल दिवस 2024 का विषय पराक्रम और नई सोच का निर्माण करना है। यह दिन न केवल साहिबजादों की स्मृति का दिन है बल्कि भारतीय युवाओं को साहस, ईमानदारी और निस्वार्थता जैसे मूल्यों को अपने जीवन मे अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने का एक मंच है।
नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में 26 दिसंबर 2024 को एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। प्रधानंत्री मोदी इस राष्ट्रीय कार्यक्रम में शामिल होंगे, जिसमें बच्चों के बेहतर पोषण और कल्याण के लिए कुछ पहलों का शुभारंभ किया जाएगा। पोषण संबंधी परिणामों में सहभागिता बढा़ने के लिए सुपोषित पंचायत अभियानों के शुरुआत की जाएगी। इसके अतिरिक्त, कला संस्क्रति, वीरता, नवाचार, विज्ञान, खेल और सामाजिक सेवा के क्षेत्रों में उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए 17 बच्चें को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरुस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
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