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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
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एक और दुनिया के दूसरे देश इन दिनों आर्थिक सुस्ती और बेरोजगारी की मार से जुझ रहे हैं, वही भारत में बड़े निवेश से युवाओं के लिए रोजगार रिसर्च और डिजिटल ट्रांसफॉमेंशन के नए रास्ते खुल रहे है। कहना न होगा कि भारत वैश्विक आर्थिक हलचलों के केंद्र में है। एक और अमरीका की दिग्गज टेक कंपनियां माइक्रोसॉफ्ट इंटेल और कॉग्निजेंट भारतीय अर्थव्यवस्था पर बड़ा दांव लगाने की तैयारी कर रही हैं तो वहीं दूसरी और अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप टैरिफ नीति उनके अपने ही देश में सवालों के घेरे में आ रही है।
माइक्रोसॉफ्ट के सत्य नडेला द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद 17.5 अरब डॉलर के निवेश की घोषणा सिर्फ एक बड़ा आर्थिक फैसला ही नहीं है, बल्कि यह संकेत हैं कि भारत तकनीक, डेटा और नवाचार के क्षेत्र में निर्णायक ताकत बनने की और बढ़ रहा है। वैश्विक पहचान वाली कंपनियों का भारत में बड़े स्तर पर निवेश दर्शाता हैं कि यहां का नियामक ढांचा, प्रतिभा पूल और डिजिटल आधारभूत ढांचा अब विश्वस्तरीय बन चुका है। इस बीच अमरीका के भीतर एक विरोधाभासी चित्र भी उभर रहा है। ट्रंप की आक्रामक टैरिफ नीति घरेलू महंगाई को बढ़ा रही है और इसका विरोध उनके अपने लोगों के बीच उभरने लगा है। अमरीकी उपभोक्ता और उद्योग जगत दोनों ही इस नीति के दुष्प्रभाव महसूस कर रहे है। भारतीय चावल पर टैरिफ लगाने की धमकी के बाद ट्रंप का विरोध तेज हो गया है। अमरीकी राष्ट्रपति को समझना होगा कि टेक्नोलॉजी, कृषि, ऊर्जा और रक्षा समेत कई क्षेत्रों में भारत को लाभ होगा, न ही अमरीका को। इस भू-राजनीतिक तस्वीर में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा में नया पहलू जोड़ दिया है। इस यात्रा ने भारतीय युवाओं के लिए रूस में उच्च शिक्षा, स्टार्टअप सहयोग और रोजगार के नए रास्ते भी खोले हैं। यह बदलाव खासतौर पर उस समय अहम हो जाता है जब अमरीकी वीजा नीतियां अनिश्चितताओं से भरी है। ऐसे में अब अमरीकन ड्रीम के धुंधलाने पर अब एक बड़ा वर्ग रूस को नए अवसरों की भूमि के रूप में देखने लगा है। संदेश बिल्कुल साफ है कि भारत अब सिर्फ विकल्प नहीं, बल्कि प्राथमिकता बनता जा रहा है।
माइक्रोसॉफ्ट के सत्य नडेला द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद 17.5 अरब डॉलर के निवेश की घोषणा सिर्फ एक बड़ा आर्थिक फैसला ही नहीं है, बल्कि यह संकेत हैं कि भारत तकनीक, डेटा और नवाचार के क्षेत्र में निर्णायक ताकत बनने की और बढ़ रहा है। वैश्विक पहचान वाली कंपनियों का भारत में बड़े स्तर पर निवेश दर्शाता हैं कि यहां का नियामक ढांचा, प्रतिभा पूल और डिजिटल आधारभूत ढांचा अब विश्वस्तरीय बन चुका है। इस बीच अमरीका के भीतर एक विरोधाभासी चित्र भी उभर रहा है। ट्रंप की आक्रामक टैरिफ नीति घरेलू महंगाई को बढ़ा रही है और इसका विरोध उनके अपने लोगों के बीच उभरने लगा है। अमरीकी उपभोक्ता और उद्योग जगत दोनों ही इस नीति के दुष्प्रभाव महसूस कर रहे है। भारतीय चावल पर टैरिफ लगाने की धमकी के बाद ट्रंप का विरोध तेज हो गया है। अमरीकी राष्ट्रपति को समझना होगा कि टेक्नोलॉजी, कृषि, ऊर्जा और रक्षा समेत कई क्षेत्रों में भारत को लाभ होगा, न ही अमरीका को। इस भू-राजनीतिक तस्वीर में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा में नया पहलू जोड़ दिया है। इस यात्रा ने भारतीय युवाओं के लिए रूस में उच्च शिक्षा, स्टार्टअप सहयोग और रोजगार के नए रास्ते भी खोले हैं। यह बदलाव खासतौर पर उस समय अहम हो जाता है जब अमरीकी वीजा नीतियां अनिश्चितताओं से भरी है। ऐसे में अब अमरीकन ड्रीम के धुंधलाने पर अब एक बड़ा वर्ग रूस को नए अवसरों की भूमि के रूप में देखने लगा है। संदेश बिल्कुल साफ है कि भारत अब सिर्फ विकल्प नहीं, बल्कि प्राथमिकता बनता जा रहा है।
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