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created Sunday December 07, 08:48 by devendra pratap singh


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आज बैंकिंग से लेकर बिज़नेस तक और सोशल मीडिया से लेकर शॉपिंग तक सब कुछ ऑनलाइन हो गया है। काम आसान हुए हैं, लेकिन इसी के साथ बढ़ा है साइबर क्राइम। कभी फिशिंग मेल से अकाउंट खाली हो जाता है तो कभी किसी की पहचान चुराकर उसका गलत इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे दौर में साइबर इंश्योरेंस ज़रूरत बन गया है। यह सिर्फ फाइनैंशल नुकसान की भरपाई करता है बल्कि मानसिक राहत भी देता है। यह ऐसा इंश्योरेंस है जो साइबर हमलों, डेटा चोरी और ऑनलाइन फ्रॉड जैसी ऑनलाइन ऐक्टिविटीज़ से होने वाले फाइनैंशल नुकसान और मेंटल स्ट्रेस से बचाता है। यह पॉलिसी सिर्फ फाइनैंशल सेफ्टी देती है बल्कि साइबर फ्रॉड के बाद होने वाली जांच का खर्च और कानूनी खर्च, डेटा रिकवरी जैसी सुविधा देती है। आसान शब्दों में कहें तो डिजिटल दुनिया में बढ़ते ऑनलाइन फ्रॉड या हैकिंग के हालात में साइबर इंश्योरेंस सहारा बनकर हर तरह के नुकसान को कम करने में मदद करता है। हम हेल्थ को लेकर किसी भी तरह की आशंका के मद्देनज़र जैसे अपना हेल्थ इंश्योरेंस कराते हैं, वीइकल इंश्योरेंस तो सभी ज़रूर कराते हैं, उसी तरह डिजिटल दौर में बढ़ते साइबर फ्रॉड से खुद को बचाने के लिए साइबर इंश्योरेंस ज़रूरी हो गया है। जिस तरह कोई बीमारी हमें बताकर नहीं आती, ठीक वैसे ही हम नहीं जानते कि कब किस साइबर फ्रॉड का शिकार हो जाएं। अगर हमारे बैंक अकाउंट से धोखे से पैसे निकल जाएं, मोबाइल या कंप्यूटर हैक हो जाए, पर्सनल जानकारी लीक कर दी  

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