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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Today, 06:30 by rajni shrivatri
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खरगोश और कछुए की बहुप्रचलित कथा आपको याद होगी। कछुओं की उम्र भी काफी अधिक होती है। बड़े कछुए दो सौ साल तक जीते है। वैज्ञानिकों का विश्वास है कि कुछ कछुए तीन सो साल तक जिन्दा रह सकते है। कछुए का भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान रहा है। इसको विशालकाय प्राणी डायनासोर का वंशज माना जाता है। यह वैदिक काल में सूरज का प्रतीक माना जाता था। कछुआ एक धीमी गति से चलने वाला प्रणी है। किंतु यह काफी दूर लगातार चलकर अपनी इस कमी को पूरा कर सकता है। अब प्रश्न उठता है कि कछुआ इतने वर्षो तक जीवित कैसे रहता है? दरअसल इसके पीछे मूल कारण है कि यह सब कुछ तसल्ली व धीरे-धीरे करता है। धीरे-धीरे खाता है, इत्मीनान से चलता है और तो और सांस भी धीरे-धीरे लेता है। इसकी कड़ी पीठ इसका सबसे बड़ा रक्षा कवच है और अन्य प्राणियों से इसकी रक्षा करने में पीठ ढाल का करती है। कछुआ ठंडे खून वाला जीव है। और ठंड के दिनों मे यह समुद्र, नदी की तली, कीचड या तालाब के एक कोने में दुबक कर बैठ जाता है। कछुए को काफी कम ऑक्सीजन की जरूरत होती है, जो उसे आस-पास के कीचड़ में हवा के बुलबुले आंशिक गर्मी भी मिलती है। कछुआ पानी और जमीन दोनों पर पाया जाता। समुद्र तटों पर मिलने वाले कछुए आकार में बहुत बड़े होते है। समुद्री कछुअ छह प्रकार के होते है। सबसे भीमकाय समुद्री कछुए का वजन पांच सौ किलोग्राम तक होता है। इसके आगे के पैर तैरने में मदद करते है। समुद्री कछुए समुद्र में इन पैरों की सहायता से काफी तीव्र गति से तैर पाते है। जमीन के कछुए पूरी तरह स्थलीय होते है। और वह केवल नहाने या पानी पीने के लिए जल में जाते है। अधिक समय तक इन्हें पानी में छोड़ने पर इनकी मृत्यु हो जाती है। स्थलीय कछुए प्राय: गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों में पाए जाते है। गर्म जलवायु इनके वास्ते काफी अनुकूल होती है। इनके पैर भारी शल्कों से ढके होते है। गालपागोस द्वीप व सेशेल्स द्वीप के जमीन जमीन के विशाल कछुए काफी विख्यात है। स्थलीय कछुओं की अब तक चालीस प्रजातियों का पता चला है। इनमें से दो-चार प्रजातियां ही भारत में पाई जाती है।
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