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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Yesterday, 09:56 by lovelesh shrivatri


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गुरू के आश्रम में दो अत्‍यंत मेधावी शिष्‍य थे। दोनों ही बुद्धिमान, तेजस्‍वी और जिज्ञासु थे। परंतु एक बात गुरू को सदा खटकती थी उनमें से एक शिष्‍य में अधीरता बहुत थी। गुरू को चिंता हुई कि यही अवगुण आगे चलकर इसके मार्ग में सबसे बड़ी बाधा बनेगा। एक दिन गुरू ने दोनों शिष्‍यों को बुलाया और बगीचे में ले गए, जहां आम के दो छोटे पौधे लगे थे। उन्‍होंनेकहा इन पौधों की रक्षा करना, रोज जल देना और ध्‍यान रखना, पर फल तब ही लेना जब ये स्‍वयं पक जाएं। दोनों शिष्‍यों ने बड़ी श्रद्धा से पौधों की देखभाल शुरू की। दिन बीते महीने गुजरे। पौधे अब फलों से लदे थे, पर वे अभी कच्‍चे थे। पहले शिष्‍य से अधीरता वश इंतजार हुआ। उसने सोचा थोड़ा ही तो अंतर है पके और कच्‍चे में। उसने आम तोड़कर गुरू को दे दिया। गुरू ने एक कौर लिया और बोले फल सुंदर है, पर स्‍वाद खट्टा है। दूसरे शिष्‍य यह देखा, पर उसने धैर्य रखा। कुछ दिनों बाद उसके पेड़ से आम स्‍वयं पककर गिर पड़ा। उसने वह फल उठाया और गुरू को भेंट किया। गुरू ने स्‍वाद लिया, मुस्‍काराए और बोले- जो फल समय से पहले तोड़ा जाता है, उसका स्‍वाद खट्टा होता है, पर जो समय आने पर स्‍वयं गिरता है,वह अमृत बन जाता है।  
उस दिन उस शिष्‍य ने समझ लिया कि ज्ञान, सफलता और सुख सभी का बीच अधीरता में नहीं, धैर्य में छिपा है। धर्य से मिला फल मीठा होता है।  

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