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26 November 1st Shift Hindi - Junior Assistant 5512 - DREAM COMPUTER CENTRE
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दुःख जीवन का एक अभिन्न अंग है। यह कोई चिड़िया या जीव का नाम नहीं, बल्कि मन की एक भावनात्मक अवस्था है। मनुष्य के जीवन में सुख और दुःख दोनों आते हैं, लेकिन जब दुःख आता है तो हम उसके अस्तित्व को समझ नहीं पाते और सोचते हैं कि आखिर यह दुःख नाम की चीज़ क्या है। वास्तव में, व्यक्ति तब दुःख महसूस करता है जब उसकी इच्छाएँ पूरी नहीं होतीं, जब वह असफल होता है, या जब वह किसी प्रिय व्यक्ति को खो देता है। दुःख कभी भी दिखाई नहीं देता, लेकिन उसकी अनुभूति व्यक्ति को भीतर से बदल देती है। दुःख का अनुभव हर इंसान को कभी न कभी होता है। यह हमें जीवन की सच्चाई से रूबरू कराता है और हमारी सोच को गहराई देता है। दुःख हमें रुलाता है, लेकिन साथ ही हमें मजबूत भी बनाता है। यह सिखाता है कि जीवन हमेशा हमारी इच्छा के अनुसार नहीं चलता। अगर हम हर परिस्थिति में धैर्य रखें और दुःख को एक सीख समझकर आगे बढ़ें, तो वही दुःख हमारे लिए शक्ति बन सकता है। जैसे रात के बाद सुबह होती है, वैसे ही दुःख के बाद सुख भी अवश्य आता है। यदि व्यक्ति दुःख को स्वीकार करना सीख जाए, तो उसका मन शांत रहता है और वह जीवन के हर पहलू को समझने की क्षमता प्राप्त कर लेता है। इसलिए कहा जा सकता है कि दुःख किसी चिड़िया का नाम नहीं, बल्कि वह एहसास है जो हमें जीवन का असली मूल्य समझाता है। दुःख हमें संवेदनशील, सहानुभूतिशील और समझदार बनाता है। यह हमारे जीवन में गहराई भर देता है और हमें इंसान बनने की दिशा में आगे बढ़ाता है।
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