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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Nov 26th, 10:23 by lovelesh shrivatri
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प्राचीन समय की बात है। एक राजा अपनी बुद्धिमत्ता और न्यायप्रियता के लिए प्रसिद्ध था। उसके दरबार में अनेक मंत्री और सेवक थे, परंतु उनमें से एक छोटा सेवक हरिदास अपनी सच्चाई और निष्ठा के लिए जाना जाता था। एक दिन राजा ने अपने दरबारियों की परीक्षा लेने का निश्चय किया। उसने उबको एक-एक थैला सोना देकर कहा, इसे सुरक्षित रखो, पर इसका उपयोग मत करना। मैं कुछ दिनों बाद वापस लूंगा। सभी ने थैला ले लिया।
कुछ महीने बाद राजा ने सबको बुलाया और थैले वापस मांगे। अधिकांश थैले हल्के निकले, कुछ ने सोना खर्च कर दिया या बदल दिया था। केवल हरिदास का थैला वैसा ही था, जैसा राजा ने उसे दिया था। राजा ने प्रसन्न होकर पूछा तुने कैसे अपने आपको प्रलोभन से बचाया ? हरिदास बोला, महाराज, आपकी दी हुई वस्तु में मेरा हर नहीं था। जो चीज हमारी नहीं उसे छूना भी अधर्म है। राजा ने भावुक होकर कहा, राज्य की रक्षा तलवार से नहीं, सच्चे और ईमानदार सेवकों से होती है।
कुछ महीने बाद राजा ने सबको बुलाया और थैले वापस मांगे। अधिकांश थैले हल्के निकले, कुछ ने सोना खर्च कर दिया या बदल दिया था। केवल हरिदास का थैला वैसा ही था, जैसा राजा ने उसे दिया था। राजा ने प्रसन्न होकर पूछा तुने कैसे अपने आपको प्रलोभन से बचाया ? हरिदास बोला, महाराज, आपकी दी हुई वस्तु में मेरा हर नहीं था। जो चीज हमारी नहीं उसे छूना भी अधर्म है। राजा ने भावुक होकर कहा, राज्य की रक्षा तलवार से नहीं, सच्चे और ईमानदार सेवकों से होती है।
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