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बस की सुरक्षा
created Yesterday, 07:46 by FactTechnical
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आंध्र प्रदेश के कुरनूल के पास बंगलूरू जा रही एक बस में आग लग गई, जो कुछ ही मिनटों में जलकर राख हो गई। इस हादसे से संबंधित वीडियो देखना असह्य है। यह आग एक मोटरसाइकिल से टक्कर के बाद लगी, लेकिन मानवीय लापरवाही इसके लिए जिम्मेदार है। पिछले एक दशक में शहरों को जोड़ने के लिए विश्व-स्तरीय एक्सप्रेसवे और चमचमाते कॉरिडोर बनाए गए हैं। दिल्ली से लखनऊ या बंगलूरू से हैदराबाद की दूरी पहले कभी इतनी सुगम, तेज या बेहतर रोशनी वाली नहीं थी। हालांकि, सड़कों का आधुनिकीकरण हो गया है, लेकिन उन पर चलने वाले वाहन, खासकर सार्वजनिक परिवहन, चलता है युग के ही अवशेष बने हुए हैं। ज्यादातर सार्वजनिक और निजी बसें खराब रखरखाव, बेतरतीब ढंग से बदलाव और खतरनाक रूप से कम नियंत्रण वाली होती हैं। नतीजतन हाईवे पर बस में आग लगने जैसी भयावह त्रासदियां देखने को मिलती हैं। पहले भी ऐसी घटनाएं होती थीं। वर्ष 2013 में आंध्र प्रदेश में एक वोल्वो स्लीपर बस में आग लग गई थी, जिसमें 45 लोगों की सोते हुए ही मौत हो गई थी। ऐसे ही हादसे 2022 में नासिक में, और हाल ही में राजस्थान में हुए थे। कहानी डरावनी है, एक चिंगारी, बिजली का शॉर्ट सर्किट, या ओवरलोड डीजल लाइनय दरवाजे जाम और फंसे हुए यात्री। हर घटना के बाद कुछ दिनों तक आक्रोश, संवेदना और जांच संबंधी बयान आते हैं और फिर सन्नाटा छा जाता है, जब तक कि कोई दूसरी त्रासदी न हो। भारत की विकास गाथा का विरोधाभास यह है कि सड़कें अब उन पर चलने वाले वाहनों से ज्यादा सुरक्षित हैं। राजमार्ग चमकते हैं, पर उन पर चलने वाली बसें अक्सर घिसे हुए तारों, पतले टायरों, या बिना मंजूरी वाले स्लीपरों के सहारे चलती हैं, जिनकी सीटें दमघोंटू बक्से में तब्दील हो गई हैं। कई निर्माता ऐसी सामग्री का इस्तेमाल करते हैं, जो ज्वलनशीलता और अग्नि सुरक्षा के बुनियादी वैश्विक मानकों का भी उल्लंघन करते हैं। ऐसे में एक चिंगारी इन्सान की प्रतिक्रिया से भी तेजी से फैल सकती है। यूरोपीय संघ के यूएनईसीई विनियमन 118 के अनुसार, यात्री बसों में इस्तेमाल होने वाली हर सामग्री (चाहे सीट हो या केबल) को कठोर अग्नि-प्रतिरोधक और गलन परीक्षणों से गुजरना होगा। अमेरिका भी इसी तरह के मानदंडों का पालन करता है, जो आपातकालीन निकास और चालक प्रशिक्षण को भी नियंत्रित करते हैं। जिस बस में अग्निरोधी आंतरिक सज्जा नहीं होती, वह न तो कारखाने से बाहर निकलती है और न ही सड़कों पर
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