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london ki tames river
created Today, 11:04 by ApoorvaTiwari
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लंदन की टेम्स नदी के किनारे घटी एक साधारण सी घटना ने एक गहरी बहस को जन्म दिया है। एक भारतीय नागरिक ने टेम्स में अपने पैर धोए और इस दृश्य के वीडियो ने ब्रिटेन में सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं पैदा कर दीं। हद तो यह हुई कि कुछ लोगों ने इसे अशोभनीय बताया तो कुछ ने भारतीय संस्कृति का उपहास किया। प्रश्न यह है कि क्या यह केवल शिष्टाचार का मामला है या फिर यह पश्चिमी समाज की उस सांस्कृतिक असहिष्णुता का प्रतिबिंब है? जो अब भी गैर-पश्चिमी सभ्यताओं को सभ्यता सीखने योग्य मानती है? भारतीय संस्कृति में जल और नदी का स्थान केवल भौतिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक है। नदी हमारे यहां मां के रूप में पूजी जाती हैं। ये हमारे जीवन का स्रोत और शुचिता का प्रतीक हैं। यात्रा के बाद या किसी नए स्थान पर प्रवेश से पहले जल से हाथ-पैर धोना केवल आदत नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक अभिव्यक्ति है। यह किसी अपमान का नहीं, बल्कि कृतज्ञता और स्वच्छता का भाव है। संभवतः भारतीय के लिए टेम्स में पैर धोना किसी धार्मिक या प्रतीकात्मक कारण से नहीं, बल्कि यात्रा की थकान मिटाने का सहज तरीका रहा होगा, लेकिन पश्चिमी दृष्टि से यह सार्वजनिक असभ्यता का प्रतीक बन गया, क्योंकि वहां नदी को धार्मिक नहीं, केवल दृश्य और औद्योगिक संपदा के रूप में देखा जाता है। यहां विवाद का एक हिस्सा स्थानीय दृष्टि से सही हो सकता है। टेम्स लंदन का प्रतीक और एक पर्यटन केंद्र भी है। वहां पानी में उतरना या व्यक्तिगत
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