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CPCT- JULY 2025 SHIFT 1ST
created Oct 23rd, 11:30 by Anand10
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				परोपकार यानी दूसरो का भला करना। पर और उपकार को जोडकर परोपकार बनता है। यह दो पदों को मिलाकर परोपकार बनता है। इंसानियत और मानवता 
की भावना परोपकार कहलाता है। इंसान एक समाजिक प्राणी है। जब किसी को मदद की जरत होती है और कोई भला इंसान उसकी सही समय पर मदद
करता है उसे परोपकार कहते है। परोपकारी इंसान बिना किसी लोभ के दूसरे लोगो की सेवा अथवा सहायता करता है। उसके मन में सबके ति प्रेम भावना
रहती है। वह किसी भी आदमी को परेशानी में नहीं देख सकता है। परोपकार इंसान समाज में प्रेम संदेश और भाईचारा फैलाता है। एक इंसान तभी एक बढिया
इंसान कहलाता है जब वह दूसरो का भला करता है। दुनिया में भी सूरज गरमी और काश धरती को देता है। इसकी वजह से हम सब प्राणी जिंदा है। आसमान
में छाये बादल धरती पर बारिश करते है। इससे सभी प्राणियों को जल मिलता है। परोपकार की भावना लोगो में भाईचारे को बढावा देती है। किसी का भला करने
से मन को जो शांति मिलती है उसे बयान नहीं किया जा सकता है। परोपकार करने से इंसान के मन को खुशी मिलती है। किसी गरीब आदमी के बेटे की शिक्षा
के लिए मदद करना या तेज धूप और गरमी में पिपासित को ठंडा पानी पिलाना परोपकार है। इंसान के प में हम पैदा इसलिए होते है ताकि हम समाज में लोगो
की सहायता कर सके। हमे सैदव यह कोशिश करनी चाहिए कि हमारे दरवाजे पर अगर कोई इंसान किसी मुसीबत में हो तो जितना हमसे हो सके हम उसकी
मदद करें। दान देने के लिए धनवान होने की जरत नहीं होती है केवल उसकी नीयत ही काफी होती है। बत से लोग भोजन और कपडे और दवाईयां आदि
का दान करते है। यह परोपकार कहलाता है। सबका भला करने से मन में नफरत कम हो जाती है। समाज में झगडे कम हो जायंगे। इंसान केवल जरतमंद
लोगो का नहीं पशुओं की भी देखभाल करते हैं। मानवता ही परोपकार है। जिस इंसान में मानवता की भावना नहीं है वह इंसान कहलाने काबिल नहीं है।
मानवता की भावना इंसान को सभी प्राणियों से अलग बनाती है। परोपकार करने के कई तरीके है। किसी गरीब की सहायता करना और उसे काम पर रखना
तथा रोजगार देना और भोजन देना आदि सभी परोपकार है। कोई रोगी अपना इलाज नही करा पाते है और उसकी मदद करना ही परोपकार है। लोगो को
हमेशा दूसरो के ति सहानभूति और दयाभाव रखना चाहिए तभी एक बढिया समाज बन पाता है। किसी भी जरतमंद आदमी को संकट में पाकर उसकी तुरंत
मदद करनी चाहिए। एक परोपकारी इंसान का काम है। यदि कोई गलत पथ पर चल रहा है तो उसे सही राह दिखाना परोपकारी इंसान का काम है। किसी भी
परेशान आदमी के दुख का बांटना और उसका साथ देना और उसे समझाना आदि परोपकार के अलग अलग प है। मानव को अपने समाज में गति लाने के
लिए परोपकार की जरत है। समाज में रह रहे सभी लोगो को एक दूसरे के ति दयाभाव रखना चाहिए। समाज में लोगो को एक दूसरे की चिंता करनी होगी
तभी एक बढिया और संवेदनशील समाज का गठन हो पायेगा। हमेशा समाज में लोगो को नेक काम करने होंगेहों गेतभी एक कुलीन समाज बनेगा। इंसान को
जिंदगी में बढिया काम करने चाहिए। बढिया काम और परोपकार की भावना लोगो को बढिया इंसान बनाती है।
			
			
	        की भावना परोपकार कहलाता है। इंसान एक समाजिक प्राणी है। जब किसी को मदद की जरत होती है और कोई भला इंसान उसकी सही समय पर मदद
करता है उसे परोपकार कहते है। परोपकारी इंसान बिना किसी लोभ के दूसरे लोगो की सेवा अथवा सहायता करता है। उसके मन में सबके ति प्रेम भावना
रहती है। वह किसी भी आदमी को परेशानी में नहीं देख सकता है। परोपकार इंसान समाज में प्रेम संदेश और भाईचारा फैलाता है। एक इंसान तभी एक बढिया
इंसान कहलाता है जब वह दूसरो का भला करता है। दुनिया में भी सूरज गरमी और काश धरती को देता है। इसकी वजह से हम सब प्राणी जिंदा है। आसमान
में छाये बादल धरती पर बारिश करते है। इससे सभी प्राणियों को जल मिलता है। परोपकार की भावना लोगो में भाईचारे को बढावा देती है। किसी का भला करने
से मन को जो शांति मिलती है उसे बयान नहीं किया जा सकता है। परोपकार करने से इंसान के मन को खुशी मिलती है। किसी गरीब आदमी के बेटे की शिक्षा
के लिए मदद करना या तेज धूप और गरमी में पिपासित को ठंडा पानी पिलाना परोपकार है। इंसान के प में हम पैदा इसलिए होते है ताकि हम समाज में लोगो
की सहायता कर सके। हमे सैदव यह कोशिश करनी चाहिए कि हमारे दरवाजे पर अगर कोई इंसान किसी मुसीबत में हो तो जितना हमसे हो सके हम उसकी
मदद करें। दान देने के लिए धनवान होने की जरत नहीं होती है केवल उसकी नीयत ही काफी होती है। बत से लोग भोजन और कपडे और दवाईयां आदि
का दान करते है। यह परोपकार कहलाता है। सबका भला करने से मन में नफरत कम हो जाती है। समाज में झगडे कम हो जायंगे। इंसान केवल जरतमंद
लोगो का नहीं पशुओं की भी देखभाल करते हैं। मानवता ही परोपकार है। जिस इंसान में मानवता की भावना नहीं है वह इंसान कहलाने काबिल नहीं है।
मानवता की भावना इंसान को सभी प्राणियों से अलग बनाती है। परोपकार करने के कई तरीके है। किसी गरीब की सहायता करना और उसे काम पर रखना
तथा रोजगार देना और भोजन देना आदि सभी परोपकार है। कोई रोगी अपना इलाज नही करा पाते है और उसकी मदद करना ही परोपकार है। लोगो को
हमेशा दूसरो के ति सहानभूति और दयाभाव रखना चाहिए तभी एक बढिया समाज बन पाता है। किसी भी जरतमंद आदमी को संकट में पाकर उसकी तुरंत
मदद करनी चाहिए। एक परोपकारी इंसान का काम है। यदि कोई गलत पथ पर चल रहा है तो उसे सही राह दिखाना परोपकारी इंसान का काम है। किसी भी
परेशान आदमी के दुख का बांटना और उसका साथ देना और उसे समझाना आदि परोपकार के अलग अलग प है। मानव को अपने समाज में गति लाने के
लिए परोपकार की जरत है। समाज में रह रहे सभी लोगो को एक दूसरे के ति दयाभाव रखना चाहिए। समाज में लोगो को एक दूसरे की चिंता करनी होगी
तभी एक बढिया और संवेदनशील समाज का गठन हो पायेगा। हमेशा समाज में लोगो को नेक काम करने होंगेहों गेतभी एक कुलीन समाज बनेगा। इंसान को
जिंदगी में बढिया काम करने चाहिए। बढिया काम और परोपकार की भावना लोगो को बढिया इंसान बनाती है।
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