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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Sep 20th, 06:36 by lucky shrivatri
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430 words
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				डिजिटल संसार के तमाम फायदों के बावजूद खतरे भी हजारों है। लंबे समय से तकनीक के दुरूपयोग को रोकने की मांग उठती रही है। लेकिन हालत दिनों दिन डरावनी और चिंताजनक होती जा रही है। इसमें संदेह नहीं कि स्वास्थ्य से लेकर शिक्षा तक हर क्षेत्र में तकनीक के जरिए क्रांति लाने की बातें हो रही है। लेकिन जब निजता पर हनन जैसे मामले सामने आते हैं तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर चिंता और बढ़ जाती है। यह भी एक तथ्य है कि निजता का हनन करने वाले कई खतरे तो खुद तकनीक के यूजर ही मोल लेने है। एआइ के फोटो एडिटिंग टूल के एआइ साडी ट्रेंड से उजागर हुआ एक इंस्टाग्राम यूजर युवती का ताजा मामला इस और संकेत करने को काफी है। इतना ही नहीं, एआइ तकनीक लोगों को ठगने का काम भी कर रही है। यह एक तरह से समाज को खतरनाक निर्भरता के दलदल में धकेलने जैसा है।  
गूगल के जेमिनी एआइ से विंटेज साड़ी ट्रेंड के लिए फोटो अपलोड करने वाली युवती ने खुद बताया है कि वे अपलोड़ की गई फोटो में फुल स्लीव ग्रीन सूट में थी, लेकिन एआइ जनरेटेड इमेंज में उनकी बांई बांह पर वह तिल साफ दिख रहा था जो वास्तव में है भी। ऐसा और कितनों के साथ हुआ होगा और आगे भी हो सकता है,
कुछ कहा नहीं जा सकता। सवाल यह है एआइ तकनीक आखिर किसी की भी बॉड़ी के गहरे राज का कैसे पता लगा लेती है? यह कोई संयोग नहीं, बल्कि एआइ की जासूसी का रूप कहा जा सकता है जिसमें वह हर फोटो को स्कैन कर, डेटाबेस से जोड़ते हुए हमारी निजी डिटेल्स उजागर कर देता है। दूसरा ताजा घटनाक्रम ख्यात धर्मगुरू के डीफेक व एआइ जनरेटेड वीडियो का है जिसमें बेंगलूरू की एक महिला को ठगी का शिकार होना पड़ा। सवाल इस तरह की ठगी और निजता के हनन का ही नहीं है। पिछले सालों में ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं जिनमें यह भरोसा करना मुश्किल हो गया है कि सोशल मीडिया पर परोसी गई कोई जानकारी असली है या फर्जी। निजी जिंदगी में दखल की यह तो शुरूआत ही है। इससे भी बड़ा खतरा यह भी है कि एआइ तकनीक मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरा बन रही है। चैटबॉट्रस से पूछे गए निजी सवालों के जवाज कई बार बहुत घातक होते है। अमरीका में एक किशोर का उदाहरण है जिसमें उसने चैटजीपीटी से सुसाइड के विचार शेयर किए तो बॉट ने उसे कोच की तरह तरीके बताते हुए इतना भ्रमित किया कि किशोर से सच में आत्महत्या कर ली। भारत में भी तकनीक को लेकर खतरा कम नही है।
 
 
 
 
 
			
			
	        गूगल के जेमिनी एआइ से विंटेज साड़ी ट्रेंड के लिए फोटो अपलोड करने वाली युवती ने खुद बताया है कि वे अपलोड़ की गई फोटो में फुल स्लीव ग्रीन सूट में थी, लेकिन एआइ जनरेटेड इमेंज में उनकी बांई बांह पर वह तिल साफ दिख रहा था जो वास्तव में है भी। ऐसा और कितनों के साथ हुआ होगा और आगे भी हो सकता है,
कुछ कहा नहीं जा सकता। सवाल यह है एआइ तकनीक आखिर किसी की भी बॉड़ी के गहरे राज का कैसे पता लगा लेती है? यह कोई संयोग नहीं, बल्कि एआइ की जासूसी का रूप कहा जा सकता है जिसमें वह हर फोटो को स्कैन कर, डेटाबेस से जोड़ते हुए हमारी निजी डिटेल्स उजागर कर देता है। दूसरा ताजा घटनाक्रम ख्यात धर्मगुरू के डीफेक व एआइ जनरेटेड वीडियो का है जिसमें बेंगलूरू की एक महिला को ठगी का शिकार होना पड़ा। सवाल इस तरह की ठगी और निजता के हनन का ही नहीं है। पिछले सालों में ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं जिनमें यह भरोसा करना मुश्किल हो गया है कि सोशल मीडिया पर परोसी गई कोई जानकारी असली है या फर्जी। निजी जिंदगी में दखल की यह तो शुरूआत ही है। इससे भी बड़ा खतरा यह भी है कि एआइ तकनीक मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरा बन रही है। चैटबॉट्रस से पूछे गए निजी सवालों के जवाज कई बार बहुत घातक होते है। अमरीका में एक किशोर का उदाहरण है जिसमें उसने चैटजीपीटी से सुसाइड के विचार शेयर किए तो बॉट ने उसे कोच की तरह तरीके बताते हुए इतना भ्रमित किया कि किशोर से सच में आत्महत्या कर ली। भारत में भी तकनीक को लेकर खतरा कम नही है।
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