Text Practice Mode
साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Yesterday, 06:27 by lovelesh shrivatri
2
203 words
90 completed
0
Rating visible after 3 or more votes
saving score / loading statistics ...
00:00
गांव के एक शांत आश्रम में एक वृद्ध ऋषि निवास करते थे। एक दिन एक युवा विद्वान उनके समक्ष पहुंचा। उसके चेहरे पर आत्ममुग्धता थी और आंखों में अहंकार की चमक। वह बोला, गुरूदेव मैंने देश विदेश के नामी विश्वविद्यालयों से उच्च शिक्षा प्राप्त की है। दर्शन विज्ञान, साहित्य आदि सभी में मेरी गहरी पकड़ है। मेरे पिता ने क्या सोचकर मुझे आपसे कुछ सीखने के लिए भेजा है। आप जैसे साधुजन मुझे भला क्या सिखा सकते है? ऋषि मुस्कान के साथ बोले, बेटा ये घड़ा लो और पास के समुद्र से पानी भर लाओ। युवक कुछ देर बाद घड़ा भर लाया। ऋषि ने पूछा, क्या समुद्र का समस्त जल इस घड़े में समा गया। युवक हंसते हुए बोला, नहीं गुरूदेव यह तो असंभव है।
ऋषि बोले, तुम्हारी शिक्षा घड़े के जल के समान है, सीमित। जबकि ज्ञान, समुद्र की तरह असीम होता है। शिक्षा शब्द देती है, पर ज्ञान अर्थ देता है। शिक्षा तुम्हें ऊंचा बना सकती है, पर ज्ञान सिखाता है कि ऊंचाई में विनम्रता कैसे रखी जाए। युवक की आंखों में नवी थी, अहंकार का नामोनिशान नहीं था। वह बोला, गुरूदेव आज ज्ञान हुआ कि मैने शिक्षा तो प्राप्त की है, पर ज्ञान की देहरी पर अब पहुंचा हूं।
ऋषि बोले, तुम्हारी शिक्षा घड़े के जल के समान है, सीमित। जबकि ज्ञान, समुद्र की तरह असीम होता है। शिक्षा शब्द देती है, पर ज्ञान अर्थ देता है। शिक्षा तुम्हें ऊंचा बना सकती है, पर ज्ञान सिखाता है कि ऊंचाई में विनम्रता कैसे रखी जाए। युवक की आंखों में नवी थी, अहंकार का नामोनिशान नहीं था। वह बोला, गुरूदेव आज ज्ञान हुआ कि मैने शिक्षा तो प्राप्त की है, पर ज्ञान की देहरी पर अब पहुंचा हूं।
