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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

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हमारे संविधान निर्माताओं ने इस  बात की शायद की कल्‍पना की होगी कि दागी नेताओं को सत्ता से दूर रखने के लिए भी संविधान में संधोधन करने की जरूरत पड़ेगी। गंभीर आपराधिक मामलों के बावजूद सत्ता से चिपके रहने का मोह नेताओं के लिए नई बात नहीं है। इनकी इसी दुष्‍प्रवृत्ति पर रोक लगाने के इरादे से केंद्र सरकार की और से लोकसभा में पेश संविधान संशोधन विधेयक को विचार के लिए भले ही संयुक्‍त संसदीय समिति को सौपा गया है लेकिन  विधेयक में जो प्रावधान किए है उनका दुरूपयोग हो तो राजनीति में शुचिंता कायम  रखने की उम्‍मीद जगाने वाले है। इन प्रावधानों के तहत गंभीर आपराधिक मामले, जिनमें पांच वर्ष या इससे अधिक की सजा हो सकती है। उनमें गिरफ्तार होकर तीस दिन तक जेल में रहने वाले प्रधनमंत्री समेत केंद्र राज्‍य के मंत्रियों मुख्‍यमंत्रियोंं को पद से हटाने का प्रावधान प्रस्‍तावित है।  
विधेयक में प्रधानमंत्री केंद्रीय मंत्रियों के लिए संविधान के अनुच्‍छेद 75 में और मुख्‍यमंत्री मंत्रियों मंत्रियों के लिए अनुच्‍छेद 164 में संशोधन का प्रस्‍ताव है। विधेयक पेश करते वक्‍त इसके प्रावधानों को लेकर प्रतिपक्ष का आक्रोश भी सामने आया। लोकसभा में बधुवार को‍ विपक्षी नेताओं ने विधेयक की प्रतियां तक फाड गृह मंत्री की तरफ फेंक दी। हंगामे के बीच लोकसभा अध्‍यक्ष ओम बिरला तक ने कहा कि  कुछ विधेयक राजनीति में शुचिता नैतिकता नैतिकता के लिए आते है। प्रतिपक्ष ने यह कहते हुए विधेयक का विरोध किया कि संविधान में यह संशोधन होने के बाद केंद्र में सत्तारूढ पार्टी बदले के भाव से विपक्षी नेताओं को पद से हटाने का काम करेगी। विपक्षी नेताओं का आरोप है कि इसके जरिए किसी भी  राज्‍य के मुख्‍यमंत्री मंत्री को झूठे गंभीर आरोप लगाकर जेल में डाल उसे पद्र से हटाने का रास्‍ता निकाला जा रहा है। विधेयक में सबसे अहम प्रावधान यह है कि तीस दिन तक जेल में  रहने वाले केंद्रीय मंत्री को प्रधानमंत्री की सलाह से राष्‍ट्रपति और राज्‍यों के मंत्री को राज्‍यपाल की सलाह से मुख्‍यमंत्री उनके पद से नहीं हटाए तो इक्‍तीसवे दिन स्‍वत: ही आरोपी मंत्री पदमुक्‍त हो जाएंगे। राजनीति में दागियों की सफाल जरूरी है। यह भी सच है कि मंत्री मुख्‍यमंत्री प्रधानमंत्री जैसों का गंभीर आरोपी के बावजूद पद पर बने रहना लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है। जेल में रहने के बावजूद मुख्‍यमंत्री मंत्री की कुर्सी के मोह के  उदाहरण हमारे सामने है।     

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