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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Thursday August 21, 07:50 by lovelesh shrivatri


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सरकारी नौकरियों के प्रति मोह रखने वाली युवा पीढ़ी उस वक्‍त खुद को ठगा सा महसूस करती है जब उसको इन नौकरियों के लिए होने वाली भर्ती परीक्षाओं में परेशानियों से दो-चार होना पड़ता है। कर्मचारी चयन आयोग की ओर से हाल ही इंस्‍पेक्‍टर लेवल की एसएससी परीक्षा फेस 13 भी अव्‍यवस्‍थाओं की ऐसी भेंट चढ़ी कि साढ़े पांच लाख परीक्षार्थियों में से 55 हजार परीक्षार्थियों की महेनत पर पानी फिर गया। इस परीक्षा में कहीं सर्वर ही क्रैश कर गया तो कहीं सिस्‍टम ही फ्रीज हो गया। तकनीकी खामियों का आलम यह कि परीक्षा के दौरान माउस की-बोर्ड तक जवाब दे गए। परीक्षार्थियों को ऐन मौके पर परीक्षा केन्‍द्र बदलने और गलत केन्‍द्र आवंटित करने का नुकसान भी झेलना पड़ा।  
विभिन्‍न स्‍तर की प्रतियोगी परीक्षाओं में सुचारू तंत्र की अपेक्षा की जाती है। परीक्षार्थियों से इसकी एवज में शुल्‍क भी वसूला जाता है। केंद्रीय सेवाओं की इंस्‍पेक्‍टर लेवल की एसएससी परीक्षा के लिए अभ्‍यर्थी सालों जी तोड़ मेहनत करते है। समझा जा सकता हैं कि अपनी पूरी ताकत झोंकने वाले युवाओं के दिल पर ये परेशानियां झेलन के बाद क्‍या बीती होगी? इस परीक्षा में एसएससी का कुप्रबंधन खुलकर सामने गया। हैरत इस बात की है कि उसने परीक्षा के आयोजन का अनुबंधन ऐसी कंपनी को सौप दिया जो चार साल में चार बार मापदंडों पर खरी उतरी। उसकी हर परीक्षा प्रतियोगियों के लिए प्रताड़ना साबित हुई। प्रशिक्षण महानिदेशालय ने 2020 में उसे अयोग्‍य करार दिया, वहीं यूपीएससी ने 2021 में उसे टेंडर से ही बाहर कर दिया। इसके बावजूद इस कंपनी को एसएससी ने अपनी इस परीक्षा के आयोजन का जिम्‍मा यह तर्क देते हुए दें दिया कि इस कपंनी ने टेंडर में सबसे कम रकम भरी थी। तो क्‍या गुणवत्ता की अनदेखी की जाती चाहिए? क्‍या लाखों परीक्षार्थियों का भविष्‍य सरकार के बजट को ध्‍यान में रखकर तय होना चाहिए।  
परीक्षाओं के पारदर्शी व्‍यवस्थित तरीके से कराने के बजाय सिर्फ इस बात को महत्‍व मिले कि टेंडर में कम रकम वाली कंपनी को ही जिम्‍मा दिया जाए तो फिर अव्‍यवस्‍थाएं भला कौन कैसे रोक पाएगा। दुर्भाग्‍यजनक पहलू यह है कि केन्‍द्र से लेकर राज्‍य स्‍तर की भर्ती परीक्षओं में गाहे बगाहे पेपरलीक, धांधली मनमानी के उदाहरण सामने आने लगे हैं। एसएससी ने भले ही 55 हजार अभ्‍यर्थियों की परीक्षा दोबारा करने की व्‍यवस्‍था दी है, लेकिन युवाओं को जो मानसिक तनाव झेलना पड़ा है उसकी भरपाई तो हो ही नहीं सकती। परीक्षा दे चुके पांच लाख परीक्षार्थियों को परिणाम का अब और इंतजार करना होगा, क्‍योंकि संपूर्ण परीक्षा  परिणाम एक साथ ही आने वाला है। यानी प्रताड़ना उन्‍हें भी है जो परीक्षा दे चुके। युवाओं का भरोसा जीतने के लिए यह जरूरी हैं कि सरकारी नौकरियों में भर्ती की पारदर्शी व्‍यवस्‍था की जाए। ऐसी व्‍यवस्‍था है कि सरकारी नौकरियों में भर्ती की पारदर्शी व्‍यवस्‍था की जाए। ऐसी व्‍यवस्‍था जिसमें एसएससी की इस परीक्षा जैसा माहौल नहीं बने।  
 
 
 
 
 

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