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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Yesterday, 06:18 by Jyotishrivatri


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एक बार दो भाई मुकदमे में फंसकर अदालत पहुंचे। एक धनवान और दूसरा गरीब। जज को यह देख आश्‍चर्य हुआ। उन्‍होंने पैसे वाले से पूछा, तुम दोनों भाई हो, लेकिन तुम अमीर हो और तुम्‍हारा भाई इतना गरीब। ऐसा क्‍यो? धनी भाई ने कहा, कई साल पहले जब हमारे पिता का निधन हुआ, तो उन्‍होंने दौलत बराबर-बराबर बांटी। साथ में उन्‍होंने हमें इसके इस्‍तेमाल की सही सीख भी दी, लेकिन भाई के हाथ जो पैसा आया उसी दिन से अपने को धनी समझने लगा, सारा काम नौकरों के भरोसे छोड़ दिया। उसे आलस ने घेर लिया। नौकरों ने पैसा पानी की तरह बहा दिया। थोड़े दिन बाद ऐसी स्थिति आई कि भाई के पास कौड़ी भी नहीं रही। जबकि मैंने मेहनत करनी नहीं छोड़ी। मैने कभी दूसरों के ऊपर काम नहीं छोड़ा। छोटा-बड़ा जो भी काम हुआ, मुस्‍तैदी से किया। इससे मेरी दौलत बढ़ और आज मैं इस स्थिति में हूं कि वक्‍त पड़ने पर दूसरों की मदद भी कर देता हूं। अगर मैं भी दूसरों के भरोसे रहा होता और आलसी बना रहता। आगे बढ़ने का गुर इस अर्थ में बोधगम्‍य है कि दूसरों के भरोसे कोई आगे नहीं बढ़ सकता।  

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