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अजनबियों पर कभी विश्वास नही करना चाहिए।

created Tuesday July 22, 13:50 by Harshvardhan Sakhre


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संयोग से एक दिन अग्निमुख नाम का एक खटमल भी राजा के शयनकक्ष में पहुंचा। जूं ने जब उसे देखा तो वहां से चले जाने को कहा। उसे अपने अधिकार क्षेत्र में किसी अन्य का दखल सहन नही था।
 
लेकिन खटमल भी कम चतुर था, बोला, “देखो, मेहमान से इस तरह का बर्ताव नही किया जाता, मैं आज रात तुम्हारा मेहमान हूं”।
 
जूं अंतत: खटमल की चिकनी चुपड़ी बातों में गई और उसे शरण देते हुए बोली, “ठीक है, तुम रात भर यहां रुक सकते हो, लेकिन राजा को काटोगे नही उसका खून चूसने के लिए”।
 
खटमल बोला, “लेकिन मैं तुम्हारा मेहमान हूँ, मुझे कुछ तो दोगी खाने के लिए, और राजा के खून से बढ़िया भोजन और क्या हो सकता है”।
 
“ठीक है”। जूं बोली, “तुम चुपचाप राजा का खून चूस लेना, उसे पीड़ा का आभास नही होना चाहिए”।
 
“जैसा तुम कहोगी, बिल्कुल वैसा ही होगा”। कहकर खटमल शयनकक्ष में राजा के आने की प्रतीक्षा करने लगा।
 
रात ढलने पर राजा वहां आया और बिस्तर पर पड़कर सो गया। उसे देख खटमल सब कुछ भूलकर राजा को काटने लगा, खून चूसने के लिए।
 
ऐसा स्वादिष्ट खून उसने पहली बार चखा था, लालच वश वह राजा को जोर जोर से काटकर उसका खून चूसने लगा। इससे राजा के शरीर मे तेज खुजली होने लगी और उसकी नींद उचट गई। उसने क्रोध में भरकर अपने सेवकों से खटमल को ढूंढकर मारने को कहा।
 
यह सुनकर चतुर खटमल तो पलंग के पाए के नीचे छिप गया लेकिन चादर के कोने पर बैठी जूँ राजा के सेवकों की नज़र में गई।
 
उन्होनें उसे पकड़ कर मारा डाला।

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