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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 ( जूनियर ज्यूडिशियल असिस्टेंट के न्यू बेंच प्रारंभ) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
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आज विज्ञान के दौर इंसान से बड़ी से बड़ी समस्यओं के समाधान की रह निकाली है। इसके बावजूद अंधविश्वास की जड़ें समाज से पूरी तरह से उखड़ना बाकी है। मध्यप्रदेश के एक गांव में देवस्थान के चबूतरे पर नरबलि देने का मामला बताता है कि तमाम प्रयासों के बावजूद कुरीतियां, पाखण्ड एवं अंधविश्वास से जुड़ी ऐसी घटनाएं समाज की तरक्की में सबसे बड़ी बाधक बनी हुई हैं। यह बात सही है कि शिक्षा व तकनीक दोनों में क्षेत्रों में प्रगति के कारण लोग अंधविश्वास की छाया से निकलने लगे हैं लेकिन अभी काफी-कुछ करना बाकी है। खासतौर से उन लोगों पर जगाम कसने की जरूरत है, जो अनिष्ट होने का उर दिखकर भोले-भाले लोगों को न केवल मानसिक तनाव देते हैं बल्कि राहत दिलाने के नाम पर तरह-तरह के टाने-टोटकों के जरिए अंधश्रद्धा का बढ़वा देने का काम करते है। इस प्रकरण में नरबलि की यह नौबत क्यों आई यह तो पुलिस की जांच में सामने आएगा लेकिन इतना जरूर है कि ऐसा घातक कदम भी किसी तांत्रिक के कहने से ही उठाया गया होगा। चिंता की बात यह है कि हमारे यहां अंधविश्वास की रोकथाम के लिए तमाम दण्डात्मक प्रवधानों के बावजूद लोगों को अनिष्ट व परिवार पर संकट का डर दिखा कमाई करने वाले आज भी सक्रिय हैं। अंधविश्वास सिर्फ एक इंसान को ही नहीं, बल्कि पूरे समाज की खोखला काने वाला होता है। विज्ञान के दौर में तांत्रिक उपायों से अमीर बनाने का झांसा देने, गंभीर बीमारीयों को चुटकियों में ठीक करने का दावा करने जैसे काम होते दिखे तो साफ लगता है कि परेशान व दु:खी लोगों को ठगने के काम को रोकने के लिए अभी काफी प्रयासों की जरूरत है। नरबलि के मामले भले ही अब इक्का-दुक्का सामने आ रहे हो लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर इंसान को इंसान नहीं समझने की यह दुष्प्रवृति कब थम पाएगी? आज भी डायन बताकर महिलाओं को प्रताडि़त करने की घटनाएं क्यों सामने आती है? शिक्षित कहे जाने वाले लोग भी तांत्रिकों के चक्कर में क्यों आने लगे है। ये तमाम सवाल ऐसे है जिनका जवाब भी विज्ञान के पास ही है।
जाहिर है अंधविश्वास के खात्मे का एक ही तरीका है, हर बात को वैज्ञानिक से समझाना। बड़ी बात यह है कि व्यक्ति को अपनी सोंच में बदलाव लाना होगा। यह बदलाव शिक्षा के माध्यम से तो आएगा ही, मीडिया की भी भूमिका काफी अहम रहने वाली है। कानून को तो सख्ती करनी ही होगी।
जाहिर है अंधविश्वास के खात्मे का एक ही तरीका है, हर बात को वैज्ञानिक से समझाना। बड़ी बात यह है कि व्यक्ति को अपनी सोंच में बदलाव लाना होगा। यह बदलाव शिक्षा के माध्यम से तो आएगा ही, मीडिया की भी भूमिका काफी अहम रहने वाली है। कानून को तो सख्ती करनी ही होगी।
