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चींटी और कबूतर | आइकन कम्‍प्यूटर छिन्‍दवाड़ा

created Thursday July 10, 05:48 by ICON COMPUTER


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एक गर्म दोपहर थी। जंगल के किनारे एक छोटी सी चींटी खाने की तलाश में इधर-उधर दौड़ रही थी। वो नदी के पास पहुँची, लेकिन वहाँ की फिसलन भरी कंकड़ीली ज़मीन पर उसका पैर फिसल गया और वह नदी में गिर गई।
 
तेज़ बहाव चींटी को बहा ले जा रहा था। वह बहुत कोशिश कर रही थी - नन्हे पैरों से पानी को काटती, डूबने से बचने की कोशिश करती। “कोई बचाओ!” वह मन ही मन पुकार रही थी।
 
उसी समय, नदी के ऊपर एक पेड़ की डाल पर एक कबूतर बैठा था। उसकी नजर चींटी पर पड़ी जो पानी में संघर्ष कर रही थी। कबूतर ने बिना वक्त गंवाए एक पत्ता अपनी चोंच में पकड़ा, उड़कर नदी के ऊपर पहुँचा और वह पत्ता चींटी के पास गिरा दिया।
 
पत्ता जैसे आसमान से एक जीवनदान बनकर उतरा। चींटी ने खुद को संभाला और उस पत्ते पर चढ़ गई। कुछ ही देर में पत्ता किनारे लगा और चींटी बच गई।
 
उसने ऊपर देखा - कबूतर अब भी डाल पर बैठा था। चींटी कुछ कह तो नहीं सकती थी, लेकिन उसकी आँखें धन्यवाद से भरी थीं।
 
कुछ दिन बाद, वही कबूतर उसी पेड़ पर बैठा था, जब एक शिकारी आया। वह धीरे-धीरे कदम बढ़ाता हुआ कबूतर की ओर निशाना साध रहा था। उसका तीर लगभग छोड़ने ही वाला था…
 
तभी शिकारी चीखा! उसके पैर पर किसी ने काट लिया था - वो चींटी थी। उसने कबूतर को बचाने के लिए तुरंत कार्रवाई की।
 
शिकारी का ध्यान भटका, उसका तीर नीचे गिरा, और कबूतर फुर्र से उड़ गया।

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