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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created May 26th, 13:07 by rajni shrivatri
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एक तालाब में तीन मछलियां रहती थी। पहली मछली का नाम था प्रज्ञा। प्रज्ञा प्रत्येक कार्य अपने विवेक से करती थी। दूसरी मछली समया जो समय आने पर ही हर कार्य को करती थी। तीसरी मछली भाग्या जो कि कार्य की अपेक्षा भाग्य पर अधिक विश्वास रखती थी। एक दिन उस तालाब के पास मछुआरे आए और उन्होंने मछलियों को देखा तो उनमें से एक ने कहा कि कल सुबह आकर जाल में फंसाकर इन मछलियों को ले जाएंगे। उनकी यह बात प्रज्ञा ने सुन ली। उसने समया मछली को यह बात बताई और कहा कि हमें यह जगह अब छोड़ देनी चाहिए। उसकी इस बात की अवहेलना करते हुए समया कहने लगी कि तुम चिंता मत करो, समय आने पर अपना बचाव मैं स्वयं कर लूंगी। प्रज्ञा तीसरी मछली भाग्या के पास पहुंची और उसे भी मछुआरे वाली बात बताई तथा तालाब छोड़ने का आग्रह किया। भाग्य पर निर्भर रहने वाली वह भला उसकी बात क्यों मानने वाली थी। वह कहने लगी कि जीना-मरना तो ईश्वर के हाथ है। यदि जीवन उसने दिया हैं तो बचाएगा भी वही। हम क्या चिंता करें। दोनों की बातें सुनकर प्रज्ञा अकेले ही दूसरे स्थान पर चली गई।
दूसरे दिन सुबह मछुआरे आए तो उन्हें देखकर समया ने अपनी सांस रोक ली और ऐसे दिखने लगी जैसे कि मर चुकी हो। मछुआरों ने सोचा कि मरी हुई मछली को ले जाने से क्या मतलब और वे जाल में फंसाकर भाग्या मछली को ले गए।
दूसरे दिन सुबह मछुआरे आए तो उन्हें देखकर समया ने अपनी सांस रोक ली और ऐसे दिखने लगी जैसे कि मर चुकी हो। मछुआरों ने सोचा कि मरी हुई मछली को ले जाने से क्या मतलब और वे जाल में फंसाकर भाग्या मछली को ले गए।
