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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created May 26th, 06:58 by lucky shrivatri
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हिमाचल की सबसे खास जगहों में शुमार डलहौजी देश का एक जाना-माना पर्यटक स्थल हैं। जिसकी वजह से घूमने-टहलने की इच्छा रखने वाला हर व्यक्ति इस जगह पर आना चाहता हैं। यह जगह अपनी शांत और सुंदर वादियों, प्राचीन सांस्कृतिक परम्परा और पर्यटन स्थलों की वजह से पूरी दुनिया में मशहूर है। इस स्थान को ब्रिटिश गवर्नर लार्ड डलहौजी ने 1854 में विकसित किया था, ताकि वह यहां की शांत और सुंदर वादियों में अच्छा समय व्यतीत कर सके। ब्रिटिश अधिकारी इस जगह पर अपनी छुट्टियां बिताने के लिए आते थे। यह जगह जितनी तब लोकप्रिय थी, वर्तमान में उससे भी कहीं ज्यादा लोकप्रिय है। डलहौजी और इसके आसपास ऐसी बहुत सारे स्थान हैं, जहां पर देश दुनिया से सैलानी घूमने के लिए आते हैं। यही वजह रही कि मैंने भी अपना बैंकपैक उठाया और हिमाचल की इस खूबसूरत जगह को देखने के लिए निकल पड़ा, इस जगह पर पहुंचकर जिस जगह का परिचय हुआ वह है खज्जियार। आपको बता दूं कि जितना प्रसिद्ध डलहौजी हैं, उतना ही खज्जियार है। इसीलिए जो लोग भी डलहौजी घूमने आते हैं, उनका अगला पड़ाव खज्जियार भी होता है। डलहौजी से खज्जियार तक जाने का रास्ता बहुत ही खूबसूरत और विविधतापूर्ण है। इस रास्ते की खूबसूरती में हम इस कदर खो गए कि कब खज्जियार आ गया, हमें पता भी नहीं चला। खज्जियार में हमारा सबसे पहला परिचय खज्जियार झील और खज्जी नाग मंदिर से हुआ। ये दोनों ही स्थान मुझे काफी अच्छे लगे और फिर हम गोल्फ कोर्स भी गए जहां बहुत ही मजा आया। हम एक दिन खज्जियार में ही ठहरे और उसके बाद हमने वापस डलहौजी की तरफ अपना रुख किया और डैनकुंड पीक देखने गए। डैनकुंड पीक को कुछ लोग सिगिंग हिल के नाम से भी जानते हैं। इस पीक से एलओसी की दूरी महज दस किमी है और सिंगिंग हिल की ऊचांई समुद्र तल से 2750 मीटर है। इसलिए इस चोटी को एलओसी का उच्चतम शिखर कहा जाता है। इस चोटी पर पहुंचकर आसपास के स्थानों की खूबसूरती को हम देर तक निहारते रहे। कुछ लोगों ने हमें कलातोप वन्यजीव अभयारण्य देखने का भी सुझाव दिया, क्योंकि यह जगह गांधी चौक से भी नजदीक है। मैंने इस जगह के बारे में पहले से सुन रखा था। इसलिए कलातोप वन्यजीव अभयारण्य जैसी जगह पर जाने से खुद को नहीं रोक सका। बीस किमी के दायरे में फैले इस अभयारण्य में हमें तरह-तरह के जीव और वनस्पतियों को देखा और देवदार के ऊंचे और घने जंगलों से घिरी इस जगह की खूबसूरती को निहारते रहे। इस जगह से एलओसी की दूरी महज 6 किमी ही रह जाती है। जो लोग इस जगह पर आते हैं, उनके मन में एलओसी देखने की भी गजब की चाह रहती है। हमारी भी कुछ ऐसी थी, लेकिन हम समय के अभाव के चलते नहीं जा सके। अगले दिन हम पंचपुला, संत जॉन चर्च, चमेरा झील भी देखने के लिए गए। सही मायने में डलहौजी को घूमने और देखने का जो अनुभव हुआ, वह हमेशा हमेशा के लिए हमारी स्मृतियों में शामिल हो गया। डलहौजी पहुंचना काफी आसान है। इस जगह पर आप अपनी सुविधा अनुसार सड़क मार्ग, ट्रेन और हवाई जहाज का विकल्प चुन सकते हैं। यह सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
