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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Yesterday, 04:47 by lovelesh shrivatri
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एक शहर में दो दोस्त रहते थे एक दिन वो दोनों दोस्त समुद्र के किनारे शंख इकटठा करने के लिए गए ताकि उन संख्या को बेचकर वो अपने लिए कुछ पूंजी जमा कर पाए। दोनों दोस्त शंख इकठठा कर ही रहे थे तभी पहले वाले दोस्त को एक बड़ा शंख दिख गया और ये देखकर दूसरे वाले दोस्त के मन में आया की यार इसे तो बड़ा शंख मिल गया अब ये मुझसे ज्यादा पैसा कमा लेगा। तो फिर उसने सोचा की अब मैं भी इससे बड़ा शंख ही ढूढूंगा ताकि मैं भी ज्यादा पैसा कमा पाऊ तो अब वह लग गया बड़े शंख की तलाश में उसने खूब ढूंढा खूब मेहनत की लेकिन फिर भी उसे बड़ा शंख हासिल नहीं हुआ और उस बड़े के चक्कर में उसे जितने भी छोटे-छोटे शंख मिलते उन सारे शंखों को उठाकर फेक देता क्योंकि उसके दिमाग में वो बड़ा शंख था की मुझे किसी भी हालत में वो बड़ा शंख चाहिए ताकि मैं थोडे ज्यादा पैसे कमा पाऊ। उस बड़े शंख के तलाश में दोपहर से शाम हो गयी शाम से रात हो गयी तो ना तो उसे बड़ा शंख मिला और बल्कि जो छोटे-छोटे शंख उसे मिले थे उन संख्या को भी उसने फेक दिए तो उसके हाथ में कुछ नहीं आया जो पहला वाला दोस्त था उसके पास एक बड़ा शंख था और कुछ छोटे शंख थे। रात हो गयी और वो दोनों दोस्त घर जाने लगे तो घर जाते वक्त पहला वाला जो दोस्त था उसने अपने शंख बेच दिए तो उसके पास जो बड़ा शंख था उसके उसे मिले एक हजार रूपये और जो छोटे-छोटे शंख जो उसके पास थे उसके मिले तीन हजार रूपये ये जानकर उस दूसरे वाले दोस्त को बहुत दु:ख हुआ की काश वह उन छोटे शंक को फेंकता नहीं तो अभी मेरे पास इससे भी ज्यादा कमाई होती।
उसके दोस्त ने उसे बताया की जो छोटे-छोटे शंख तूने फेंक दिए थे ना उन्हीं को मैंने अपने पास कलेक्ट कर लिया और उन्हीं की वजह से मुझे मिले तीन हजार रूपये और ये जानकर वो दूसरा वाला दोस्त और भी ज्यादा निराश हो जाता है।
शिक्षा:- इस कहानी को बताने का मेरा मकसद मिलकुल साफ है की हम कुछ बड़ी चीजे करने के चक्कर मेंहम कई सारे छोटे-छोटे मौके हाथ से गवा देते है। मै ये भी नहीं कह रहा हूं की आप छोटा ही करो मेरे कहने का मतलब ये है की आप सोचो बड़ा लेकिन उसके लिए आप हर वो छोटा काम करो जिससे आपका लक्ष्य आपको हासिल हो।
उसके दोस्त ने उसे बताया की जो छोटे-छोटे शंख तूने फेंक दिए थे ना उन्हीं को मैंने अपने पास कलेक्ट कर लिया और उन्हीं की वजह से मुझे मिले तीन हजार रूपये और ये जानकर वो दूसरा वाला दोस्त और भी ज्यादा निराश हो जाता है।
शिक्षा:- इस कहानी को बताने का मेरा मकसद मिलकुल साफ है की हम कुछ बड़ी चीजे करने के चक्कर मेंहम कई सारे छोटे-छोटे मौके हाथ से गवा देते है। मै ये भी नहीं कह रहा हूं की आप छोटा ही करो मेरे कहने का मतलब ये है की आप सोचो बड़ा लेकिन उसके लिए आप हर वो छोटा काम करो जिससे आपका लक्ष्य आपको हासिल हो।
