Text Practice Mode
CPCT प्रशिक्षण केन्द्र उमरिया (राम- 9301406862)
created Apr 7th, 05:57 by jindgi7717
1
343 words
37 completed
0
Rating visible after 3 or more votes
saving score / loading statistics ...
00:00
विजय नगर में गंगू नाम का व्यक्ति रहता था उसके बारे में कहा जाता था की वह बड़ा ही मनहूस है और जो सुबह-सुबह उसकी शक्ल देख ले उसे खाना भी नसीब नहीं होता। धीरे-धीरे यह बात पूरे विजय नगर में फ़ैल गई और महाराज कृष्ण-देव राय को भी इसके बारे में पता चला। उन्होनें सोचा की उनके राज्य में इस तरह के मनहूस व्यक्ति का रहना उचित नहीं है किन्तु राजा बहुत न्याय प्रिय थे उन्होंने सोचा कि पहले वो यह देखना कहते हैं की इस बात में कितनी सच्चाई है।
राजा ने अपने सेनापति को आदेश दिया कि गंगू को उनके सामने लाया जाए। सैनिकों ने गंगू को महाराज कृष्णदेव राय के समक्ष पेश किया। महाराज कृष्णदेव राय जिस कमरे में सोते थे उसी में गंगू के लिए भी विस्तर लगवाया और सुबह जब राजा सो कर उठे तो उन्होंने सबसे पहले गंगू का चेहरा देखा। कुछ देर बाद अचानक कार्य आ जाने के कारण राजा को राज महल से बाहर जाना पड़ा और उस दिन वो इतने व्यस्त रहे की उन्हें खाना भी नसीब नहीं हुआ। राजा कृष्णदेव राय को यकीन हो गया कि यह सब गंगू का चेहरा देखने के कारण हुआ है। राजा ने सोचा जब इस व्यक्ति के कारण मुझे भोजन नसीब नहीं हुआ तो शहर के दूसरे लोगों के सांथ क्या होता होगा।
गुस्से में राजा कृष्णदेव राय ने गंगू को फांसी पर टांगने का आदेश दिया। यह बात पूरे राज्य में फैल गई कि कल गंगू को फांसी दी जायगी जब यह बात तेनालीराम को पता चली तो वे सारा माजरा समझ गए और तत्काल गंगू के पास पहुंचे | तेनालीराम को देखकर गंगू रोने लगा और तेनालीराम को पूरी बात बतलाई। तेनालीराम ने गंगू को सांत्वना देते हुए उसके कहा की जैसा वो कहें गंगू को वैसा ही करना होगा। गंगू भी तेनालीराम की बात समझ गया।
गंगू बोला- ''महाराज इस राज्य में एक व्यक्ति मुझसे भी ज्यादा मनहूस है। पहले दण्ड उसे मिलना चाहिए फिर मुझे।'' गंगू बोला:- ''महाराज वह मनहूस व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि इस राज्य का राजा अर्थात आप हैं।''
राजा ने अपने सेनापति को आदेश दिया कि गंगू को उनके सामने लाया जाए। सैनिकों ने गंगू को महाराज कृष्णदेव राय के समक्ष पेश किया। महाराज कृष्णदेव राय जिस कमरे में सोते थे उसी में गंगू के लिए भी विस्तर लगवाया और सुबह जब राजा सो कर उठे तो उन्होंने सबसे पहले गंगू का चेहरा देखा। कुछ देर बाद अचानक कार्य आ जाने के कारण राजा को राज महल से बाहर जाना पड़ा और उस दिन वो इतने व्यस्त रहे की उन्हें खाना भी नसीब नहीं हुआ। राजा कृष्णदेव राय को यकीन हो गया कि यह सब गंगू का चेहरा देखने के कारण हुआ है। राजा ने सोचा जब इस व्यक्ति के कारण मुझे भोजन नसीब नहीं हुआ तो शहर के दूसरे लोगों के सांथ क्या होता होगा।
गुस्से में राजा कृष्णदेव राय ने गंगू को फांसी पर टांगने का आदेश दिया। यह बात पूरे राज्य में फैल गई कि कल गंगू को फांसी दी जायगी जब यह बात तेनालीराम को पता चली तो वे सारा माजरा समझ गए और तत्काल गंगू के पास पहुंचे | तेनालीराम को देखकर गंगू रोने लगा और तेनालीराम को पूरी बात बतलाई। तेनालीराम ने गंगू को सांत्वना देते हुए उसके कहा की जैसा वो कहें गंगू को वैसा ही करना होगा। गंगू भी तेनालीराम की बात समझ गया।
गंगू बोला- ''महाराज इस राज्य में एक व्यक्ति मुझसे भी ज्यादा मनहूस है। पहले दण्ड उसे मिलना चाहिए फिर मुझे।'' गंगू बोला:- ''महाराज वह मनहूस व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि इस राज्य का राजा अर्थात आप हैं।''
