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साहू कंप्यूटर टाइपिंग सेंटर मानसरोवर कॉम्प्लेक्स CHHINDWARA [M.P.] CPCT ADMISSION OPEN MOB.-8085027543 MP CPCT EXAM TEST
created Mar 4th, 03:45 by sahucpct01
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सार्वजनिक क्षेत्र के विषय में यह सोचा गया था कि यह स्वपोषित आर्थिक संवृद्धि के इंजन के रूप में काम करेगा। यही नहीं, वह औद्योगिक क्षेत्र में तकनीकी विकास के लिए भी महत्वपूर्ण कार्य सम्पन्न करेगा। इन भूमिकाओं को पूरा करने के लिए यह आवश्यक था कि सार्वजनिक क्षेत्र समुचित मात्रा में निवेश के लिए पूँजी-साधन उत्पन्न करे। इसमें सन्देह नहीं है कि औद्योगिक आधार के विस्तार में सार्वजनिक क्षेत्र ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। औद्योगिक ढाँचे में विविधता पैदा करने की दृष्टि से भी सार्वजनिक क्षेत्र का बहुत बड़ा योगदान है। तथापि और अधिक विस्तार के लिए सार्वजनिक क्षेत्र पर्याप्त मात्रा में आन्तरिक साधनजनित करने में असमर्थ रहा है जिसका परिणाम यह हुआ है कि यह क्षेत्र आर्थिक संवृद्धि के लिए एक बड़ी बाधा बन गया है। ढाँचागत सुधारों के अन्तर्गत सरकार ने सार्वजनिक उपक्रमों को ज्यादा प्रबन्धकीय स्वायत्तता देने का निर्णय लिया है जिससे इनके लिए कुशलतापूर्वक काम कर पाना सम्भव है।
सार्वजनिक उपक्रमों की कार्यविधि में सुधार लाने के लिए उसके साथ निजी क्षेत्र को प्रतियोगिता करने का अवसर दिया जाएगा। इसके अलावा कुछ चुने हुए उद्योगों में आंशिक रूप से ईक्विटी विनिवेश का कार्यक्रम अपनाया गया है। इसके अन्तर्गत सार्वजनिक उद्यमों के शेयर वित्तीय संस्थाओं, निजी क्षेत्र तथा आम जनता को बेचे जा रहे हैं। इस नीति के अन्तर्गत 1991-92 से 15 अप्रैल 2015 तक सार्वजनिक उद्यमों के शेयरों की बिक्री से सरकार को कुल 1,78,729 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त हुई है। शुरू में सरकार का यह कहना था कि केवल उन सार्वजनिक क्षेत्रों को इकाइयों के शेयर बेचे जाएँगे जो हानि उठा रही हैं तथा बेहतर निष्पादन करने वाली इकाइयों को और अधिक प्रबंधकीय स्वायत्ता देकर उन्हें विकास के अधिक अवसर प्रदान किये जाएँगे ताकि वे विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें। परन्तु वास्तव में इस तरह के प्रयास नहीं किए गए। सरकार द्वारा सार्वजनिक उद्यमों के शेयर बेचने का एकमात्र उद्देश्य इन शेयरों की बिक्री से प्राप्त राशि द्वारा बजट घाटों को पूरा करना रहा है।
सार्वजनिक उपक्रमों की कार्यविधि में सुधार लाने के लिए उसके साथ निजी क्षेत्र को प्रतियोगिता करने का अवसर दिया जाएगा। इसके अलावा कुछ चुने हुए उद्योगों में आंशिक रूप से ईक्विटी विनिवेश का कार्यक्रम अपनाया गया है। इसके अन्तर्गत सार्वजनिक उद्यमों के शेयर वित्तीय संस्थाओं, निजी क्षेत्र तथा आम जनता को बेचे जा रहे हैं। इस नीति के अन्तर्गत 1991-92 से 15 अप्रैल 2015 तक सार्वजनिक उद्यमों के शेयरों की बिक्री से सरकार को कुल 1,78,729 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त हुई है। शुरू में सरकार का यह कहना था कि केवल उन सार्वजनिक क्षेत्रों को इकाइयों के शेयर बेचे जाएँगे जो हानि उठा रही हैं तथा बेहतर निष्पादन करने वाली इकाइयों को और अधिक प्रबंधकीय स्वायत्ता देकर उन्हें विकास के अधिक अवसर प्रदान किये जाएँगे ताकि वे विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें। परन्तु वास्तव में इस तरह के प्रयास नहीं किए गए। सरकार द्वारा सार्वजनिक उद्यमों के शेयर बेचने का एकमात्र उद्देश्य इन शेयरों की बिक्री से प्राप्त राशि द्वारा बजट घाटों को पूरा करना रहा है।
