eng
competition

Text Practice Mode

SAHU COMPUTER TYPING CENTER MANSAROVAR COMPLEX CHHINDWARA [M.P.] CPCT ADMISSION OPEN MOB.-8085027543 MP CPCT EXAM TEST

created Today, 09:52 by sahucpct02


0


Rating

338 words
43 completed
00:00
सरकार की प्राथमिकताओं की सूची में आवास को बहुत निचला स्‍थान मिला हुआ है। पॉंचवी योजना के प्रारूप पत्र में लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा किए जाने के बारे में आश्‍वासन दिया गया था और यह कहा गया था कि लोगों की इन जरूरतों को पूरा कर दिया जाएगा, लेकिन आवास और शहरी विकास की कोई राष्‍ट्रीय नीति घोषित नहीं की गई। जबकि किसी भी राष्‍ट्रीय आवास नीति का मुख्‍य उद्देश्‍य यह होना चाहिए कि ज्‍यादा से ज्‍यादा मकानों के निर्माण कार्य को प्रोत्‍साहन मिलें और शहरों में किराए इस स्‍तर तक नीचे रखे जाऐ कि किरायेदार उनका बोझ उठा सकें, लेकिन ऐसा लगता है कि अभी तक ध्‍यान केवल इस बात पर दिया गया है कि शहरी जमीन और संपत्ति की कीमतों को किस तरह से बढ़ाया जाए और काले धन का सहारा लेकर कैसे उसे सही किया जाए। महोदय, मकानों का निर्माण कार्य नीचे लोगों के द्वारा ज्‍यादा किया जाता है, परंतु भारत में मकानों का निर्माण व्‍यक्तिगत पारिवारिक जरूरतों को ध्‍यान में रखकर होता है। भारत में मकान निर्माण व्‍यावसायिक ज्‍यादा नहीं किया जाता और इसका सबसे बड़ा कारण सरकारी नीतियों को जटिल होना है। इस वजह से भारत में गृह निर्माण अभी-भी एक कठिन समस्‍या है।  
    संयुक्‍त राष्‍ट्र के एक अध्‍ययन में यह कहा गया है कि सन 2000 ईसवीं में दुनिया की जनसंख्‍या दो गुनी होकर 7 अरब हो जायेंगी और इनमें से 60 प्रतिशत लोग शहरों में रह रहे होंगे जबकि 1960 में 40 प्रतिशत आबादी शहरों में थी। यानि इस शताब्‍दी के अंत तक 10 में से 6 व्‍यक्ति शहरों में निवास कर रहे होंगे। ग्रामीण क्षेत्रों से जनसंख्या को शहरों में लाए जाने की वजह ग्रामीण क्षेत्रों का शहरीकरण ही सबसे सही उपाय दिखलाई देता है। इस समय जरूरत गॉंवों में आवास की व्‍यवस्‍था करने की है साथ ही साथ शहरी क्षेत्रों में गंदी बस्तियों की साफ-सफाई की योजना भी सुचारू करने की जरूरत है। शहरों में मकानों की कमियां लगातार बढ़ती चली जा रही है क्‍योंकि शहरों में मकानों का निर्माण धीमी गति से हो रहा है।  
 

saving score / loading statistics ...