Text Practice Mode
BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤ आपकी सफलता हमारा ध्येय ✤|•༻
created Saturday March 01, 04:35 by typing test
0
550 words
130 completed
0
Rating visible after 3 or more votes
saving score / loading statistics ...
00:00
स्वभाव की गंभीरता मन की समता संस्कृति के अंतिम पाठों में से एक है और यह समस्त विश्व को वश में करने वाली शक्ति में पूर्ण विश्वास से उत्पन्न होती है, अगर भारत के संदर्भ में बात की जाए तो भारत एक विविध संस्कृति वाला देश है, एक तथ्य कि यहां यह बात इसके लोगों, संस्कृति और मौसम में भी प्रमुखता से दिखाई देती है। हिमालय की अनश्वर वर्फ से लेकर दक्षिण के दूर दराज में खेतों तक पश्चिम के रेगिस्तान से पूर्व के नम डेल्टा तक सूखी गर्मी से लेकर पहाडियों की तराई के मध्य पठार की ठंडक तक भारतीय जीवनशैलियां इसके भूगोल की भव्यता स्पष्ट रूप से दर्शाती है। एक भारतीय के परिधान, योजना और आदतें इसके उद्भव के स्थान के अनुसार अलग-अलग होते हैं।
भारतीय संस्कृृति अपनी विशाल भौगोलिक स्थिति के समान अलग अलग है। यहां के लोग अलग अलग भाषाएं बोलते हैं, अलग अलग तरह के कपडे पहनते हैं भिन्न भिन्न धर्मों का पालन करते हैं, अलग अलग भोजन करते हैं किंतु उनका स्वभाव एक जैसा होता है। चाहे कोई खुशी का अवसर हो या कोई दुख का क्षण लोग पूरे दिल से इसमें भाग लेते हैं एक साथ खुशी या दर्द का अनुभव करते हैं। एक त्योहार या एक आयोजन किसी घर या परिवार के लिए समिति नहीं है। पूरा समुदाय या आस पडोस एक अवसर पर खुशियां मनाने में शामिल होता है, इसी प्रकार एक भारतीय विवाह मेल जोल का आयोजन है, जिसमें न केवल वर और वधु बल्कि दो परिवारों का भी संगम होता है चाहे उनकी संस्कृति या फिर धर्म का मामला क्यों न हो। इसी प्रकार दुख में भी पडोसी और मित्र उस दर्द को कम करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।
भारतीय संस्कृति के बारे में पं. मदनमोहन मालवीय का कहना है कि भारतीय सभ्यता और संस्कृति की विशालता और उसकी महत्ता तो संपूर्ण मानव के साथ तादात्मय संबंध स्थापित करने अर्थात 'वसुधैव कुटुंबकम्' की पवित्र भावना में निहित है।
भारत का इतिहास और संस्कृति गतिशील है और यह मानव सभ्यता की शुरूआत तक जाती है। यह सिंधु घाटी की रहस्यमयी संस्कृति से शुरू होती है और भारत के दक्षिणी इलाकों में किसान समुदाय तक जाती है। भारत के इतिहास में भारत के आस-पास स्थित अनेक संस्कृतियों से लोगों का निंरतर समेकन होता रहा है। उपलब्ध साक्ष्यों के अनुसार लोहे, तांबे और अन्य धातुओं के उपयोग काफी शुरूआती समय में भी भारतीय उप महाद्वीप में प्रचलित ये, जो दुनिया के इस हिस्से द्वारा की गई प्रगति का संकेत है। चौथी शताब्दी बी.सी. के अंत तक भारत एक अत्यंत विकसित सभ्यता के क्षेत्र के रूप में उभर चुका था।
संस्कृति के शब्दिक अर्थ की बात की जाए तो संस्कृति किसी भी देश जाति और समुदाय की आत्मा होती है। संस्कृति से ही देश, जाति या समुदाय के उन समस्त संस्कारों का बोध होता है और जिनके सहारे वह अपने आदर्शों, जीवन मूल्यों आदि का निर्धारण करता है। अत: संस्कृति का साधारण अर्थ होता है संस्कार सुधार परिवार शुद्धि सजावट आदि। वर्तमान समय में सभ्यता और संस्कृति को एक दूसरे का पयार्य माना जाने लगा है लेकिन वास्तव में संस्कृति और सभ्यता अलग अलग होती है। सभ्यता में मनुष्य के राजनीतिक, प्रशासनिक, आर्थिक, प्रौद्योगिकीय व दृश्य कला रूपों का प्रदर्शन होता है जो जीवन को सुखमय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में एक हैं।
भारतीय संस्कृृति अपनी विशाल भौगोलिक स्थिति के समान अलग अलग है। यहां के लोग अलग अलग भाषाएं बोलते हैं, अलग अलग तरह के कपडे पहनते हैं भिन्न भिन्न धर्मों का पालन करते हैं, अलग अलग भोजन करते हैं किंतु उनका स्वभाव एक जैसा होता है। चाहे कोई खुशी का अवसर हो या कोई दुख का क्षण लोग पूरे दिल से इसमें भाग लेते हैं एक साथ खुशी या दर्द का अनुभव करते हैं। एक त्योहार या एक आयोजन किसी घर या परिवार के लिए समिति नहीं है। पूरा समुदाय या आस पडोस एक अवसर पर खुशियां मनाने में शामिल होता है, इसी प्रकार एक भारतीय विवाह मेल जोल का आयोजन है, जिसमें न केवल वर और वधु बल्कि दो परिवारों का भी संगम होता है चाहे उनकी संस्कृति या फिर धर्म का मामला क्यों न हो। इसी प्रकार दुख में भी पडोसी और मित्र उस दर्द को कम करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।
भारतीय संस्कृति के बारे में पं. मदनमोहन मालवीय का कहना है कि भारतीय सभ्यता और संस्कृति की विशालता और उसकी महत्ता तो संपूर्ण मानव के साथ तादात्मय संबंध स्थापित करने अर्थात 'वसुधैव कुटुंबकम्' की पवित्र भावना में निहित है।
भारत का इतिहास और संस्कृति गतिशील है और यह मानव सभ्यता की शुरूआत तक जाती है। यह सिंधु घाटी की रहस्यमयी संस्कृति से शुरू होती है और भारत के दक्षिणी इलाकों में किसान समुदाय तक जाती है। भारत के इतिहास में भारत के आस-पास स्थित अनेक संस्कृतियों से लोगों का निंरतर समेकन होता रहा है। उपलब्ध साक्ष्यों के अनुसार लोहे, तांबे और अन्य धातुओं के उपयोग काफी शुरूआती समय में भी भारतीय उप महाद्वीप में प्रचलित ये, जो दुनिया के इस हिस्से द्वारा की गई प्रगति का संकेत है। चौथी शताब्दी बी.सी. के अंत तक भारत एक अत्यंत विकसित सभ्यता के क्षेत्र के रूप में उभर चुका था।
संस्कृति के शब्दिक अर्थ की बात की जाए तो संस्कृति किसी भी देश जाति और समुदाय की आत्मा होती है। संस्कृति से ही देश, जाति या समुदाय के उन समस्त संस्कारों का बोध होता है और जिनके सहारे वह अपने आदर्शों, जीवन मूल्यों आदि का निर्धारण करता है। अत: संस्कृति का साधारण अर्थ होता है संस्कार सुधार परिवार शुद्धि सजावट आदि। वर्तमान समय में सभ्यता और संस्कृति को एक दूसरे का पयार्य माना जाने लगा है लेकिन वास्तव में संस्कृति और सभ्यता अलग अलग होती है। सभ्यता में मनुष्य के राजनीतिक, प्रशासनिक, आर्थिक, प्रौद्योगिकीय व दृश्य कला रूपों का प्रदर्शन होता है जो जीवन को सुखमय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में एक हैं।
