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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤ आपकी सफलता हमारा ध्‍येय ✤|•༻

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ऐसा कहा जाता है कि ज्ञान ताकत है। ज्ञान नें हमें विज्ञान और तकनीक के सभी क्षेत्र में प्रगति करने में सक्षम बनाया है जिसे हम हासिल करने में समर्थ हैं। इसने हमें इस धरती पर कही अधिक सक्षम शीर्ष और सफल प्राणी बनाया है। ज्ञान प्राथमिक कारक है जो सही मायनों में जानवरों से मानव जाति को अलग करता है। ज्ञान मानव और यथार्थ या सूचना के बीच की कडी होती है। ज्ञान की खोज कदापि सरल नहीं मानी जा सकती। ज्ञान ही है जो कठिन से कठिन सवालों को सुलझा देता है। हमारी धारणा और तर्क का हमारा निजी बल कम से कम प्रयासों के साथ दूसरों से दोहराया जा सकता है। अगली पीढी सदैव पिछली पीढी से ज्ञान और सूचनाओं के संग्रहण के मामले में दो कदम आगे रहती है। पाठशाला शिक्षण के प्रारंभिक वर्ष के दौरान शिक्षा सरल होती है जैसे जैसे छात्र बडा होता है उसके बडे होने के साथ ही उसके शैक्षिक अभिलेख की विशेष धाराओं का आगमन होता है ताकि वह उस क्षेत्र में दक्षता और कौशल हासिल करें जिसमें वे अपना भावी कल बनाना चाहता है। इस तरह के ज्ञान का कोई उपयोग नहीं है जो खुद के या किसी और के विनाश के लिए मार्ग गढता है। ज्ञान को आपको जीवन में सही तरीके से अपने और समाज के लिए उपयोगी बनाना चाहिए। महान इंसानों ने अपने ज्ञान को सही उपयोग के लिए रखा है और इस धरती पर लंबे समय तक याद की जाने वाली उंचाइयों तक पहुंच गए हैं। मूल रूप से चार प्रकार के ज्ञान हैं जिसे बहुत कम उम्र से छात्रों को सिखाना जरूरी है। साधारण ज्ञान छोत्रों को दुनिया में घटनाओं के बारे में अपने ज्ञान को विकसित करने में मदद करता है। किसी पद का अर्थ ज्ञान और पाठक पर निर्भर करता है। पढना ज्ञान का बेहतर स्‍त्रोत है यह केवल लिखित अर्थ को बढाता है यहां तक कि समझने की क्षमता को भी आसान बनाता है। जैसा कि पहले ही बताया पढना ज्ञान के लिए सबसे बेहतर स्‍त्रोत है वहीं यह छात्रों की पदावली कौशल विकसित करने की कुंजी भी है। जितना अधिक हम पढते हैं उतना ही हम अलग अलग पदों को सीखते हैं और उनका उपयोग कैसे और कहां करना है ये सीख पाते हैं।  शिक्षा में पूर्व ज्ञान की जरूरत को समझा जा सकता है। किसी विषय के बारे में पूर्व का ज्ञान वैचारिक समझ से भरी होती है जिसमें गहरे अर्थ समाहित होते हैं। माता पिता अपने बालकों को पूर्व ज्ञान प्रदान करने में जरूरी भूमिका निभाते है। यह इसके कारण भी है कि एक बालक की शिक्षा घर पर शुरू होती है और उनके माता पिता उनके पहले शिक्षक होते हैं।
     माता पिता के बाद एक बालक की सीखने की प्रक्रिया में शिक्षक एक जरूरी भूमिका निभाते हैं। उनके लिए यह समझना जरूरी है कि वे किसी विषय के बारे में पहले से कितना जानते हैं जिससे उनका परीक्षण कर सकें।    

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