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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

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हर विद्यार्थी के जीवन में 12वीं कक्षा भविष्‍य के लिए एक निर्णायक मोड़ होती है। साल भर छात्र मेहनत करते हैं, ताकि परीक्षा में सफल हो सकें, अपने सपनो को पूरा कर सके। कड़ी प्रतिस्‍पर्क्षा के इस दौर में अनेक छात्र मात्र एक अंक से प्रावीण्‍य सूची में अपना नाम दर्ज करने से चूक जाते है। एक-एक अंक कितना अहम होता है, ये हम उन विद्यार्थियों को देखकर समझ सकते हैं, जो कम आने पर मानसिक अवसाद में चले जाते है। कई जीवन समाप्‍त करने जैसा कदम उठा लेते  है। शिक्षा के कर्ताधर्ताओं का दायित्‍व है कि वे विद्यार्थियों को इस अवस्‍था में जाने दें। लेकिन मध्‍यप्रदेश में तो इसका उलटा ही हो रहा है। हाल यह है कि मध्‍यप्रदेश शिक्षा मंडल की ही लापरवाही की वजह से कई छात्रों के अंकों में कटौती हो गई। भला हो उन विद्यार्थियों का जिन्‍हें विश्‍वास था कि उनके इतने कम नंबर नहीं सकते। ऐसे एक नही 20 हजार छात्र-छात्राएं थे। उन्‍होंने पुनर्गणना के लिए आवेदन किया। इनमें से 25 फीसदी विद्यार्थियों के मामले में साबित हो गया कि उन्‍हें कम नंबर दिए गए थे। ये अंक बढ़ा दिए गए तो कई छात्र छात्राओं का नाम मेरिट सूची तक में दर्ज हो गया। लापरवाही का आलम क्‍या रहा, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता  कि भोपाल की एक छात्रा रिमझिम के 30 नंबर बढ गए और वह स्‍कूल की टॉपर बन गई। पता लगा कि उसके कुछ उत्तर जांचे ही नहीं गए थे। ऐसे विद्यार्थियो के लिए यह हर्ष की बात है। आखिर उन्‍हें अपनी मेहनत का पूर्ण फल मिला।  
इनमें उन छात्रों की मनस्थिति को भी समझा जाना चाहिए कि उन पर क्‍या बीत रही होगी, जिन्‍होंने आत्‍मविश्‍वास में थोड़ी कमी की वजह से पुनर्गणना नहीं करवाई होगी। वे जीवनभर इस अवसाद के साथ जीयेंगे कि काश उन्‍होंने भी पुनर्गणना करवा ली होती। पुनर्गणना के परिणाम से माध्‍यमिक शिक्षा मंडल की कार्यप्रणाली तो सवालों के घेरे में गई है।  

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