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SAHU COMPUTER TYPING CENTER MANSAROVAR COMPLEX CHHINDWARA [M.P.] CPCT ADMISSION OPEN [ दुर्गेश साहू ] MOB.-8085027543 MPHC JJA EXAM TEST

created Thursday January 23, 12:02 by sahucpct01


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भारत एक बहुभाषी राष्‍ट्र है। देश के विभिन्‍न प्रान्‍तों में अलग-अलग भाषाओं का बोल-बाला है। हिन्‍दी, पंजाबी, सिंधी, उड़‍िया, बंगला, असमिया, गुजराती, मराठी, तमिल, तेलगू, कन्‍नड़ और मलयालम भारत की प्रमुख भाषाएं हैं। ऐसी स्थिति में कौन-सी भाषा राष्‍ट्रभाषा के पद पर प्रतिष्ठित की जाये, यह प्रश्‍न विवाद का विषय बन गया है।  
किसी देश की राष्‍ट्रभाषा व‍ही हो सकती है, जिसका अपने देश की संस्‍कृति सभ्‍यता और साहित्‍य से गहरा सम्‍बन्‍ध हो। राष्‍ट्रभाषा बनने के लिए य‍ह भी आवश्‍यक है कि उसे देश की बहुसंख्‍यक जनता बोलती-समझ‍ती हो तथा वह अन्‍य प्रान्‍तीय भाषाओं के साथ भी घनिष्‍ठ सम्‍बन्‍ध रखती हो। उनके शब्‍दों पचाने की क्षमता भी उस भाषा में होनी चाहिए। इस दृष्टि से विचार करने पर स्‍पष्‍ट हो जाता है कि हिन्‍दी के अतिरित्‍क अन्‍य भाषाएं केवल अपने-अपने प्रान्‍त में सिमटी हुई हैं, उन्‍हें बोलने वालों की संख्‍या भी सीमित है। दूसरी ओर हिन्‍दी का क्षेत्र अत्‍यन्‍त व्‍यापक है। मोटे तौर पर हिन्‍दी क्षेत्र के अन्‍तर्गत हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्‍ली, उत्‍तर प्रदेश, मध्‍य प्रदेश, बिहार और राजस्‍थान राज्‍य आते हैं। इन राज्‍यों में तो हिन्‍दी का बोलबाला है ही, इसके अतिरित्‍क महाराष्‍ट्र, गुजरात, पंजाब, कश्‍मीर में भी हिन्‍दी बोलने-समझने वाले लोग निवास करते हैं। देश के अन्‍य प्रान्‍तों मे भी हिन्‍दी बोलने वालों की संख्‍या एक सीमित प्रतिशत में है। उत्‍क विवेचन से स्‍पष्‍ट है कि हिन्‍दी के अतिरित्‍क किसी अन्‍य भाषा को भारत की राष्‍ट्रभाषा के पद पर सुशोभित नहीं किया जा समता।  
हिन्‍दी भारतीय संस्‍कृति, सभ्‍यता से जुड़ी हुई है, इसका साहित्‍य उच्‍चकोटि का है और जातीय गौरव को बढ़ाने वाला है। भारत की प्राचीन भाषाओं, संस्‍कृत, प्राकृत, पालि और अपभ्रंश से इसका निकट सम्‍बनध है। संस्‍कृत के बहुत सारे शब्‍द हिन्‍दी में प्रचलित है और आज भी नये शब्‍दों का गठन संस्‍कृत व्‍याकरण के आधार पर हिन्‍दी में किया जा रहा है। हिन्‍दी का शब्‍द भण्‍डार पर्याप्‍त समृध्‍द है तथा इसमें अन्‍य प्रान्‍तीय भाषाओं के शब्‍दों को पचाने की सामर्थ्‍य भी है, अत: हिन्‍दी में वे सभी गुण विदृामान है जिनके आधार पर किसी भाषा को राष्‍ट्रभाषा का दर्जा दिया जाता है।  
जिस प्रकार राष्‍ट्रगान, राष्‍ट्रीय ध्‍वज किसी स्‍वतन्‍त्र राष्‍ट्र के गौरव, स्‍वाभिमान एवं असिमता के प्र‍तीक होते हैं, उसी प्रकार राष्‍ट्रभाषा भी किसी राष्‍ट्र के स्‍वाभिमान की वाहक होती है। जिस प्रकार देश के नागरिक अपने राष्‍ट्रगीत एवं राष्‍ट्रीय झण्‍डे से प्‍यार करते हैं, उसी प्रकार उन्‍हें अपनी राष्‍ट्रभाषा से भी प्रेम करना चाहिए।
 

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