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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

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बहुत समय पहले की बात है, आइस्‍लैंड़ के उत्तरी छोर पर एक किसान रहता था। उसे अपने खेत में काम करने वालों की बड़ी जरूरत रहती थी लेकिन ऐसी खतरनाक जगह, जहां आये दिन आंधी-तुफान आते रहते हों, कोई काम करने को तैयार नहीं होता था।  
किसान ने एक दिन शहर के अखबार में इश्‍तहार दिया कि उसे खेत में काम करने वाले एक मजदूर की जरूरत है। किसान से मिलने कई लोग आये लेकिन जो भी उस जगह के बारे में सुनता, वो काम करने से मना कर देता। अंतत: एक सामान्‍य कद का पतला दुबला अधेड़ व्‍यक्ति किसान के पास पहुंचा किसान ने उससे पूछा, क्‍या तुम इन परिस्थि‍तयों में काम कर सकते हो? हा बस जब हवा चलती है तब मैं सोता हूं व्‍यक्ति ने उत्तर दिया। किसान को उसका उत्तर थोड़ा अजीब लगा लेकिन चूंकि उसे कोई और काम करने वाला नहीं मिल रहा था इसलिए उसने व्‍यक्ति को काम पर रख लिया।  
मजदूर मेहनती निकला, वह सुबह से शाम तक खेतों में काम करता, किसान भी उससे संतुष्‍ट था। कुछ ही दिन बीते थे कि एक रात अचानक ही जोर-जोर से हवा बहने लगी, किसान अपने अनुभव से समझ गया कि अब तूफान आने वाला है वह तेजी से उठा हाथ लालटेन ली और अजदूर के झोपड़े की तरफ दौडा। जल्‍दी उठो, देखते नहीं तूफान आने वाला है, इससे पहले की सबकुछ तबाह हो जाए कटी फसलों को बांध कर ढक दो और बाड़े के गेट को भी रस्सियों से कस दो किसान चीखा। मजदूर बड़े आराम से पलटा और बोला नहीं जनाब मैंने आपसे पहले ही कहा था कि जब हवा चलती है तो मै सोता हूं। यह सुन किसान का गुस्‍सा सातवें आसमान पर पहुंच गया, जी में आया कि उस मजदूर को गोली मार दे, पर अभी वो आने वाले तूफान से चीजों को बचाने के लिए भागा। किसान खेत में पहुंचा और उसकी आंखे आर्श्‍चय से खुली रह गयी, फसल की गांठे अच्‍छे से बंधी हुई थीं और तिरपाल से ढकी भी थी, उसके गाय-बैल सुरक्षित बंधे हुए थे और मुर्गियां भी अपने दडबों में थी बाड़े का दरवाजा भी मजबूती से बंधा हुआ था। सारी चीजें बिलकुल व्‍यस्थित थी। नुक्‍सान होने की कोई संभावना नहीं बची थी। किसान अब मजदूर की ये बात कि जब हवा चलती है तब मैं सोता हूं समझ चुका था, और वो भी चैन से सो सकता था।  
शिक्षा- मित्रों हमारी जिन्‍दगी में भी कुछ तूफान आने तय हैं, जरूरत इस बात की है कि हम उस मजदूर की तरह पहले से तैयारी कर के रखें ताकि मुसीबत आने पर हम भी चैन से सो सकें।  
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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