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created Tuesday January 21, 09:15 by sahucpct
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भारत में अनेक त्योहारों की तरह ही अनेक ऋतुऍं भी पायी जाती है। भारत ऋतुओं का देश है। यहॉं बारी-बारी से अनेक ऋतुऍं आती हैं और अपनी-अपनी अनुपम छटा बिखेर कर मन को मोह जाती है। यहॉं छ: ऋतुऍं पाई जाती हैं। इन ऋतुओं के नाम है- ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत, शिशिर और वसन्त। इन सभी में वसन्त की शोभा विचित्र, सुहानी एवं मनमोहक होती है। यही कारण है कि वसन्त को ऋतुराज कहा जाता है। यह ऋतु नया उल्लास एवं नई उमंग का लोगों में संचरण करके उनको स्फूर्ति से भर देती है। प्रकृति भी इस ऋतु में सज-धजकर दुल्हन-सी प्रतीत होती है।
वसन्त ऋतु का आगमन मार्च-अप्रैल में होता है। इस समय तक सर्दी समाप्त हो चुकी होती है और गर्मी का आगमन हो रहा होता है। इस समय न तो अधिक गर्मी पड़ती है और न ही अधिक सर्दी। इस समय दिन और रात लगभग बराबर होते हैं। इस मधुर वातावरण में लोग बहुत ही प्रसन्न होते हैं। शिशिर ऋतु में जो पेड़-पौधे अपने पत्ते गिरा चुके होते हैं वे ही वसन्त ऋतु आते-आते नए-नए मोहक पत्तों से भर जाते हैं। चारों ओर से नए-नए पत्ते और फूल अपनी सुगन्ध बिखेरने लगते हैं। बाग-बगीचों में इस ऋतु में कोयल की मीठी तान सुनाई देने लगती है। खेतों में किसान की फसलों के साथ सरसों अपनी पीली चादर बिछा चुकी होती है। फूलों पर रंग-बिरंगी तितलियॉं मंडराकर वातावरण को आकर्षक बनाती हैं तथा फूलों पर भौंरे गूँजने लगते हैं, जिसे सुनकर मन मयूर खुशी से नृत्य करने लगता है।
भारतीय पंचांग के अनुसार यह त्योहार वसन्त पंचमी के दिन से प्रारम्भ होता है। होली इस ऋतु का प्रमुख त्योहार है, जो इस ऋतु की शोभा को और भी बढ़ा देता है। आम के पेड़ पर इस समय बौर आ जाते हैं, जिससे सुगंधित हवा चारों ओर प्रवाहित होने लगती है। खेतों में लहलहाती फसलें देखकर किसान और उसका परिवार खुशी से झूमने लगता है। इस ऋतु में चारों ओर बसंती रंग छा जाता है और वातावरण सुगंध से परिपर्ण हो जाता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से यह ऋतु वरदान के समान है। इस समय शरीर में नई स्फूर्ति तथा शक्ति का संचार होता है।
वसन्त ऋतु का आगमन मार्च-अप्रैल में होता है। इस समय तक सर्दी समाप्त हो चुकी होती है और गर्मी का आगमन हो रहा होता है। इस समय न तो अधिक गर्मी पड़ती है और न ही अधिक सर्दी। इस समय दिन और रात लगभग बराबर होते हैं। इस मधुर वातावरण में लोग बहुत ही प्रसन्न होते हैं। शिशिर ऋतु में जो पेड़-पौधे अपने पत्ते गिरा चुके होते हैं वे ही वसन्त ऋतु आते-आते नए-नए मोहक पत्तों से भर जाते हैं। चारों ओर से नए-नए पत्ते और फूल अपनी सुगन्ध बिखेरने लगते हैं। बाग-बगीचों में इस ऋतु में कोयल की मीठी तान सुनाई देने लगती है। खेतों में किसान की फसलों के साथ सरसों अपनी पीली चादर बिछा चुकी होती है। फूलों पर रंग-बिरंगी तितलियॉं मंडराकर वातावरण को आकर्षक बनाती हैं तथा फूलों पर भौंरे गूँजने लगते हैं, जिसे सुनकर मन मयूर खुशी से नृत्य करने लगता है।
भारतीय पंचांग के अनुसार यह त्योहार वसन्त पंचमी के दिन से प्रारम्भ होता है। होली इस ऋतु का प्रमुख त्योहार है, जो इस ऋतु की शोभा को और भी बढ़ा देता है। आम के पेड़ पर इस समय बौर आ जाते हैं, जिससे सुगंधित हवा चारों ओर प्रवाहित होने लगती है। खेतों में लहलहाती फसलें देखकर किसान और उसका परिवार खुशी से झूमने लगता है। इस ऋतु में चारों ओर बसंती रंग छा जाता है और वातावरण सुगंध से परिपर्ण हो जाता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से यह ऋतु वरदान के समान है। इस समय शरीर में नई स्फूर्ति तथा शक्ति का संचार होता है।
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