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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 (( जूनियर ज्यूडिशियल असिस्टेंट न्यू बेच प्रारंभ ))संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Jan 18th, 12:58 by rajni shrivatri
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इस मामले के तथ्यों के अनुसार, अपीलार्थी-अभियुक्त और एक अन्य सह-अभियुक्त द्वारा एक सत्संग भवन से सत्संग कर रहे व्यक्तियों की मृत्यु हो गयी थी और कई सारे व्यक्ति गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गए थे। दर्ज की गई प्रथम इत्तिला रिपोर्ट के अनुसरण में राजस्थान राज्य की पुलिस ने तारीख 18 सितंबर, 1998 को अपीलार्थी, खुमान सिंह को गिरफ्तार किया और उसी तारीख को विद्वान् उपखंड मजिस्ट्रेट द्वारा उसे अभिरक्षा में प्रतिप्रेषित किया गया। अभिरक्षा में 90 दिन के पश्चात् जो तारीख 24 अक्टूबर, 1998 को समाप्त हुई थी, उपखंड न्यायिक मजिस्ट्रेट, रायगढ़़ को व्यतिक्रम जमानत के लिए एक आवेदन किया गया। इस आवेदन को तारीख 28 अक्टूबर, 1998 को इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि विद्वान् उपखंड न्यायिक मजिस्ट्रेट ने तारीख 25 अक्टूबर, 1998 के आदेश द्वारा विधिविरुद्ध क्रियाकलाप अधिनियम, 1967 द्वारा यथा संशोधित दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 167 के अधीन पहले ही 90 दिन के समय को बढ़ाकर 180 दिन कर दिया गया था। तथापि, अपीलार्थी और उसके सह-अभियुक्त द्वारा एक पुनरीक्षण याचिका के द्वारा इस आदेश को चुनौती दी गई और वह पुनरीक्षण तारीख 30 अक्टूबर, 1998 के आदेश द्वारा सफल रहा था, जिसके द्वारा विद्वान् अपर सेशन न्यायाधीश ने राष्ट्रीय अन्वेषण अधिकरण अधिनियम, 2008 के अधीन गठित विशेष न्यायालय होने के नाते केवल उसे ही समय का विस्तार करने की अधिकारित होने के आधार पर पुनरीक्षण आवेदन को मंजूर किया था। एक दिन बाद तारीख 5 नवंबर, 2020 को पुलिस अन्वेषण के पश्चात् विद्वान विशेष न्यायाधीश के समक्ष एक आरोप पत्र फाइल किया गया, जिसमें तारीख 12 नवंबर, 2019 को दर्ज की गई प्रथम इत्तिला रिपोर्ट के अन्वेषण के अनुसरण में जो अपराध कारित किए गए थे, उनमें भारतीय दंड संहिता के साथ पठित आयुध अधिनियम, 1959 की विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, 1908 और विधिविरुद्ध क्रियाकलाप अधिनियम, 1967 के अधीन किए गए अपराध का अवलंब लिया गया था।
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