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MY NOTES 247 जूनियर ज्यूडिशियल असिस्टेंट हिंदी मोक टाइपिंग टेस्ट
created Jan 17th, 08:14 by Anamika Shrivastava
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पुराने समय में जब कोई लिखित कानून नहीं था, न्याय अच्छे विवेक और सर्वोत्तम निर्णय के आधार पर प्रदान किया जा रहा था। निर्णय थे क्या सही है और क्या गलत है, क्या नैतिक है या क्या अनैतिक है । इसके बाद ही कानून बनाए गए। आपराधिक कानून नागरिक कानून और अन्य कानूनों जैसे विभिन्न कानून सभी एक ही उद्देश्य के लिए अधिनियमित किए गए थे कानून का अंतर्निहित उद्देश्य धर्मी होना, अच्छा होना, न्यायपूर्ण और निष्पक्ष होना है। यह किसी के अच्छे विवेक और सर्वोत्तम निर्णय से बहता है। इसका मतलब केवल यह है कि जब किसी कार्य पर सवाल उठाया जाता है, तो यह पता लगाया जाना चाहिए कि यह सही तरीके से किया गया है या नहीं। इसलिए, सभी कानून का स्त्रोत मार्ग है। जब धर्मी भटक जाता है, तो गलत होता है। इसलिए, सभीर कानून का स्त्रोत मार्ग है। जब धर्मी भटक जाता है, तो गलत होता है। इसलिए, यह कभी नहीं कहा जा सकता है कि भले ही कोई कार्य अनैतिक हो, लेकिन चूंकि इसे किसी भी कानून में परिभाषित नहीं किया गया है, इसलिए गलत करने वाला खुला रह जाता है। इसलिए, यदि किसी कानून में कोई कमी है, तो इसका लाभ कभी भी किसी एक पक्ष को नहीं दिया जा सकता है। न्याय के आधार पर किया जाना चाहिए। यह दुनिया भर के सभी समाजों का अंतर्निहित सिद्धांत है। दुनिया भर के समाज धर्म का मार्ग नहीं है वे सार्वभौमिक हैं। वे मानवजाति पर लागू होते हैं। कोई कार्य नैतिक या अनैतिक, दुनिया के किसी भी हिस्से में अच्छा या बुरा है। दएक देश में जो नैतिक है और इसके विपरीत वह दूसरे देश में अनुतिक नहीं हो सकता है। इसलिए, हर कानून का सार धर्म है है । माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा महाराष्ट्र राज्य और अन्य बनाम प्रभु के प्रकरण में (1994) एससीसी 481 में इसी तरह की भावना व्यक्त की गई थी।
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