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SAHU COMPUTER TYPING CENTER MANSAROVAR COMPLEX CHHINDWARA [M.P.] CPCT ADMISSION OPEN [संचालक- दुर्गेश साहू ] MOB.-8085027543 MPHC JJA EXAM TEST
created Jan 14th, 07:57 by sahucpct
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भारत की सबसे बड़ी समस्या है जनसंख्या विस्फोट। तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या ने देश के समक्ष अनेक विकराल समस्याएं खड़ी कर दी हैं, जिनका समाधान, तब तक सम्भव नहीं जब तक जनसंख्या वृद्धि पर अंकुश न लगा दिया जाए। सन् 1947 में भारत की कुल जनसंख्या 35 करोड़ थी जिसमें पाकिस्तान और बांग्लादेश की जनसंख्या भी शामिल है, सन् 2001 में यह जनसंख्या एक अरब को पार कर चुकी है। विश्व में चीन के बाद भारत ही सबसे अधिक आबादी वाला देश है। यदि जनसंख्या वृद्धि की इस दर को रोका न गया तो भीषण परिणाम भुगतने पड़ेंगे। तीव्र गति से बढ़ती हुई इस जनसंख्या के लिए भोजन, वस्त्र और आवास जैसी सुविधाओं को जुटा पाना भारत जैसे सीमित साधनों वाले देश के लिए सम्भव नहीं है। अत: यह परमावश्यक है कि जनसंख्या वृद्धि की गति पर अंकुश लगाया जाए।
परिवार नियोजन इस बढ़ती हुई जनसंख्या पर काबू पाने का सबसे बेहतर उपाय है। परिवार नियोजन का अभिप्राय है- परिवार को इस प्रकार नियोजित करना जिससे अधिक सन्तान उत्पन्न न हों और परिवार के द्वारा दम्पत्ति अपने परिवार को अपनी इच्छा से सीमित रख सकते हैं। बच्चों के जन्म के बीच में पर्याप्त अन्तराल रखने हेतु भी परिवार नियोजन की विधियों को अपनाया जा सकता है। आज इस बात को समझने की महती आवश्यकता है कि परिवार नियोजन केवल वैयक्तिक प्रश्न नहीं रह गया है, अपितु यह राष्ट्रीय समस्या है और देश के उज्जवल भविष्य से जुड़ा प्रश्न है, अत: इसे व्यक्तिगत इच्छा पर नहीं छोड़ा जा सकता। यदि लोग स्वेच्छा से अपने परिवार को सीमित नहीं रखेंगे, तो कानून बनाकर उन्हें सीमित परिवार के लिए बाध्य किया जाना चाहिए।
परिवार नियोजन का भारत में सामान्य अर्थ यह ग्रहण किया जाता है कि प्रत्येक दम्पत्ति अधिक से अधिक दो सन्तानों को जन्म दें और प्रथम सन्तान तब उत्पन्न हो जब माता की आयु कम से कम 21 वर्ष हो तथा द्वितीय सन्तान के जन्म में लगभग चार या पांच वर्ष का अन्तराल हो।
परिवार नियोजन इस बढ़ती हुई जनसंख्या पर काबू पाने का सबसे बेहतर उपाय है। परिवार नियोजन का अभिप्राय है- परिवार को इस प्रकार नियोजित करना जिससे अधिक सन्तान उत्पन्न न हों और परिवार के द्वारा दम्पत्ति अपने परिवार को अपनी इच्छा से सीमित रख सकते हैं। बच्चों के जन्म के बीच में पर्याप्त अन्तराल रखने हेतु भी परिवार नियोजन की विधियों को अपनाया जा सकता है। आज इस बात को समझने की महती आवश्यकता है कि परिवार नियोजन केवल वैयक्तिक प्रश्न नहीं रह गया है, अपितु यह राष्ट्रीय समस्या है और देश के उज्जवल भविष्य से जुड़ा प्रश्न है, अत: इसे व्यक्तिगत इच्छा पर नहीं छोड़ा जा सकता। यदि लोग स्वेच्छा से अपने परिवार को सीमित नहीं रखेंगे, तो कानून बनाकर उन्हें सीमित परिवार के लिए बाध्य किया जाना चाहिए।
परिवार नियोजन का भारत में सामान्य अर्थ यह ग्रहण किया जाता है कि प्रत्येक दम्पत्ति अधिक से अधिक दो सन्तानों को जन्म दें और प्रथम सन्तान तब उत्पन्न हो जब माता की आयु कम से कम 21 वर्ष हो तथा द्वितीय सन्तान के जन्म में लगभग चार या पांच वर्ष का अन्तराल हो।
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