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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Jan 8th, 10:06 by lucky shrivatri
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एक बहुत बड़े सेठ थे जिनका नाम लोग दूर-दूर तक जानते थे। उनके जीवन में ऐसा दिन आया कि उनके पास कुछ नहीं बचा और वो एक गरीब इंसान कहलाने लगे। एक दिन उनके गांव से एक ऋषिवर निकले। उन्होंने सेठ से कहा, पुत्र जीवन प्रवाह में और जल प्रवाह में खासा फर्क नहीं होता है। जीवन सुख-दुख का पहिया है और जल भी कुछ ऐसा ही है।
एक जगह से जल ऐसा बहता है कि उसकी गड़गड़ाहट से कुछ भी सुनाई नहीं देता। वहां से आगे बढ़ते हुए वो कभी नदी बनता हैं तो कभी शांत तालाब। ठीक वैसे ही जीवन है। एक समय में हम ऊंचे स्थान पर होते हैं, हमारी आवाज दूर-दूर तक सुनाई देती है, लेकिन जब समय के थपेड़े लगते है, तो हमारी स्थिति बदल जाती है। इसलिए हमें जीवन में मिली हार को खुद पर हावी नहीं होने देना चाहिए। ऋषि की बातें सेठ के दिल में घर कर गई। उन्होंने तय किया कि वह खुद को बदलेंगे और जो कुछ भी उन्होंने खो दिया था, उसे वापस पाने के लिए संघर्ष करेंगे।
एक जगह से जल ऐसा बहता है कि उसकी गड़गड़ाहट से कुछ भी सुनाई नहीं देता। वहां से आगे बढ़ते हुए वो कभी नदी बनता हैं तो कभी शांत तालाब। ठीक वैसे ही जीवन है। एक समय में हम ऊंचे स्थान पर होते हैं, हमारी आवाज दूर-दूर तक सुनाई देती है, लेकिन जब समय के थपेड़े लगते है, तो हमारी स्थिति बदल जाती है। इसलिए हमें जीवन में मिली हार को खुद पर हावी नहीं होने देना चाहिए। ऋषि की बातें सेठ के दिल में घर कर गई। उन्होंने तय किया कि वह खुद को बदलेंगे और जो कुछ भी उन्होंने खो दिया था, उसे वापस पाने के लिए संघर्ष करेंगे।
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