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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565(32)
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शिकायत में यह भी अभिकथन किया गया कि पति को अपनी पत्नी अर्थात् शिकायतकर्ता की पुत्री के चरित्र पर संदेह था और वह अपनी पत्नी को शारीरिक रूप से कष्ट पहुंचाया करता था। तारीख 15 मार्च, 2001 को जब शिकायतकर्ता अपने काम पर गया हुआ था, उसे यह संदेह प्राप्त हुआ कि उसकी पुत्री बीमार है, अत: वह अपनी पुत्री के वैवाहिक गृह पर गया जहां उसने अपनी पुत्री का शव बरामदे में पड़ा हुआ देखा। वहां पर बहुत-से लोग जमा हो गए थे। शव कपड़े से ढका हुआ था और जब शिकायतकर्ता ने शव पर से कपड़ा उठाया तो उसने गर्दन पर कुछ क्षतियां देखी, अत: उसने सरकारी अस्पताल के चिकित्सा अधिकारी द्वारा शव की शव-परिक्षा कराए जाने के लिए कहा। तद्नुसार, शव की शव-परिक्षा की गई और यह पाया गया कि कंठास्थि में अस्थिभंग होने के कारण मृत्यु हुई है। अत: शिकायतकर्ता ने तीनों अभियुक्तों के विरुद्ध प्रथम इत्तिला रिपोर्ट दर्ज कराई। इस मामले में पुलिस उप निरिक्षक मोहनलाल द्वारा अन्वेशण किया गया जिसने स्वयं प्रथम इत्तिला रिपोर्ट अभिलिखित की क्योंकि वह पुलिस थाने में भारसाधक था। अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया और अन्वेशण पूरा होने पर संबंधित मजिस्ट्रेट के सक्षम आरोप पत्र फाइल किया गया। संबंधित मजिस्ट्रेट को इस मामले का विचारण करने की कोई अधिकारिता नहीं थी इसलिए उसने इस मामले को सेशन न्यायाधीश
, रायगढ़ को सुपुर्द कर दिया। तीनों अभियुक्तों के विरुद्ध पुर्वोक्त अपराधों के लिए आरोप विरचित किया गया जिस पर उन्होंने सभी आरोपो से इनकार किया और तद्नुसार उनका विचारण किया गया। अभियोजन पक्ष ने कुल मिलाकर 13 साक्षियों की परीक्षा कराई और अपने पक्षकथन के समर्थन में शवपरीक्षण रिपोर्ट सहित कई दस्तावेज साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किए। प्रत्यर्थी-अभियुक्तों ने अपनी प्रतिरक्षा में किसी भी साक्षी की परीक्षा नहीं कराई। साक्ष्य पूरा होने पर संहिता की धारा 313 के अधीन अभियुक्तों के कथन अभिलिखित किए गए। सेशन न्यायाधीश ने पक्षकारों की ओर से हाजिर होने वाले विद्वान् अधिवक्ताओं को सुनने और साक्ष्य की संवीक्षा करने के पश्चात् यह निष्कर्ष निकाला कि अभियोजन पक्ष अपना पक्षकथन सिद्ध करने में असफल रहा है और सभी अभियुक्तों को पूर्वोक्त आरोपों से मुक्त कर दिया।
, रायगढ़ को सुपुर्द कर दिया। तीनों अभियुक्तों के विरुद्ध पुर्वोक्त अपराधों के लिए आरोप विरचित किया गया जिस पर उन्होंने सभी आरोपो से इनकार किया और तद्नुसार उनका विचारण किया गया। अभियोजन पक्ष ने कुल मिलाकर 13 साक्षियों की परीक्षा कराई और अपने पक्षकथन के समर्थन में शवपरीक्षण रिपोर्ट सहित कई दस्तावेज साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किए। प्रत्यर्थी-अभियुक्तों ने अपनी प्रतिरक्षा में किसी भी साक्षी की परीक्षा नहीं कराई। साक्ष्य पूरा होने पर संहिता की धारा 313 के अधीन अभियुक्तों के कथन अभिलिखित किए गए। सेशन न्यायाधीश ने पक्षकारों की ओर से हाजिर होने वाले विद्वान् अधिवक्ताओं को सुनने और साक्ष्य की संवीक्षा करने के पश्चात् यह निष्कर्ष निकाला कि अभियोजन पक्ष अपना पक्षकथन सिद्ध करने में असफल रहा है और सभी अभियुक्तों को पूर्वोक्त आरोपों से मुक्त कर दिया।
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