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MILAN BOKDE 8962228764

created Dec 26th 2024, 16:51 by MILANBOKDE


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इतिहास ऐसे कई उदाहरणों से भरा पड़ा है, जिसमें शिक्षित और ज्ञानी लोगों ने तर्कहीन अन्‍यायपूर्ण और अनुचित ढंग से काम किया, जो संघर्ष, तनाव, अन्‍याय, शोषण और उत्‍पीड़न का कारण बना। जब रोमन साम्राज्‍य चरम पर था, तो इटली में दास प्रथा काफी फली-फूली। दो शताब्दियों से ज्‍यादा बेहद अमानवीय ढंग से व्‍यवहार किया।  
वैदिक काल के भारत में शिक्षा और ज्ञान पर ब्राह्मणों का विशेषाधिकार था, जो सामाजिक संरचना में शीर्ष पर थे। लेकिन वे शासकों और उनके परिजनों को शिक्षा देते थे। रामायण में ऋषि वशिष्‍ट और महाभारत में द्रोणाचार्य राज परिवार के आचार्य थे, कि सामान्‍य लोगों के। वे अपने समय के ज्ञानी समाज का प्रतिनिधित्‍व करते थे, जो न्‍यायसंगत था और ही समावेशी।  
एकलव्‍य एक सुविधाहीन गरीब था, जिसे गुरू द्रोणाचार्य ने शिक्षा देने से मना कर दिया और जब उसने स्‍वयं ही सीखने की कोशिश की तो गुरू ने उसका अंगूठा मांग लिया। यहा तक कि सर्वोच्‍च न्‍यायालय भी हाल में टिप्‍पणी करने पर मजबूर हो गया कि द्रोणाचार्य का एकलव्‍य से गुरूदक्षिणा मे अंगूठा मांगना घृणित माना गया। कुल मिलाकर चंद्र गुप्‍त विक्रमादित्‍य का शासन ही हिंदू शासको मे सबसे सम्‍मानित, उन्‍नत और लोकप्रिय था। लेकिन इस उन्‍नत पुनर्जागरण काल में भी दलितों को अपनी बांस की छड़ी के साथ चूड़ी बांधकर चलना पड़ता था, ताकि लोगों को पता चल जाए और वे उनकी छाया से दूषित होने से बच जाएं।  
गांधी के आह्वान पर कई महिलाओं ने स्‍वतंत्रता में हिस्‍सा लिया। लेकिन स्‍वतंत्र भारत के उच्‍च शिक्षित राष्‍ट्रीय नेताओं ने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर कड़ा विरोध जताया। पंडित नेहरू और डॉ. बी.आर. अंबेडकर को संसद में हिन्‍दू कोड बिल पारित कराने में काफी मुश्किले झेलनी पड़ी। वर्ष 2005 में सरकार पैतृक विरासत में महिलाओं को समान अधिकार देने वाला कानून पारित कराने में सक्षम हो पाई। हरित क्रांति वाला पंजाब देश के कई राज्‍यों से ज्‍यादा समृद्ध और शिक्षित है।

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