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MY NOTES 247 जूनियर ज्‍यूडिशियल असिस्‍टेंट हिंदी मोक टाइपिंग टेस्‍ट

created Dec 26th 2024, 16:06 by 12345shiv


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इस अपील पर सुनवाई के लिए बुलाए जाने पर, अपीलकर्ता की ओर से पेश हुए श्री गिरधारी लाल अग्रवाल ने हमारा ध्‍यान इस तथ्‍य की ओर आकर्षित किया कि विद्वान न्‍यायाधीश के साथ बैठे दो मूल्‍यांकनकर्ताओं में से एक मूल्‍यांकनकर्ता, अर्थात ठाकुर दीर्घविजय सिंह को इस मुकदमे के प्रयोजनों के लिए मूल्‍यांकनकर्ता के रूप में नहीं बुलाया गया था। हमने जांच करने का आदेश दिया, और पाया कि ठाकुर दीर्घबिजय सिंह 1910 तक मूल्‍यांकनकर्ताओं की सूची में थे, लेकिन उस तिथि से उन्‍हें सूची से हटा दिया गया था। उनके निष्‍कासन के कारण के रूप में, सत्र न्‍यायाधीश ने बताया कि मजिस्‍ट्रेट ने इस आधार पर इसकी सिफारिश की थी कि वह एक बड़े जमींदार थे और जीवन में उनकी स्थिति और स्थित उन लोगों से बहुत बेहतर थी जिनसे मूल्‍यांकनकर्ता आमतौर पर चुने जाते हैं। यदि ऐसा है, तो हमें यह जानकर आश्‍चर्य हुआ कि यह सिफारिश की जानी चाहिए थी और इसे मंजूरी मिलनी चाहिए थी। निश्चित रूप से पद और औहदे वाले भारतीय सज्‍जनों से यह अपेक्षा करना बहुत ज्‍यादा नहीं है कि उन्‍हें न्‍याय प्रशासन में सहायता करनी चाहिए, क्‍योंकि यदि सूची संपत्ति के लिए तैयार की गई है तो मूल्‍यांकनकर्ता के रूप में बैठना बहुत ही कम होता है, और शायद तीन या चार वर्षों के दौरान केवल एक बार होता है। हालांकि यह हो सकता है, इसमें कोइ संदेह नहीं है कि इन आरोपी व्‍यक्तियों का मुकदमा, जब मूल्‍यांकनकर्ताओं में से केवल एक ही विशेष सत्र के लिए बुलाया गया मूल्‍यांकनकर्ता था, अवैध है, जैसा कि क्‍वीन-एक्‍सप्रेस बनाम बद्री वीकली नोट्स में बताया गया है कि ऐसे मामले में कानूनी रूप से गठित न्‍यायाधिकरण के समक्ष कोई वैध मुकदमा नहीं हुआ है, हम मुकदमे, दोषसिद्धि और सजा को अलग रखते हैं और निर्देश देते हैं कि आरोपी को कानून के अनुसार सत्र न्‍यायालय द्वारा फिर से मुकदमा चलाया जाए।

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