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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 ( जूनियर ज्‍यूडिशियल असिस्‍टेंट के न्‍यू बेंच प्रारंभ) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Yesterday, 07:10 by rajni shrivatri


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मामले में जांच अधिकारियों ने साक्षियों का परीक्षण किया, उनके बयान लिए और इस बात की स्‍पष्‍ट रिपोर्ट दी कि अपीलार्थी ने घूस लिया था अत: उसे उसके पद से पदच्‍युत करने की सिफारिश की। इस आधार पर प्रबन्‍ध निदेशक ने अगले दिन अपीलार्थी की पदच्‍युक्ति के आदेश दे दिए। यह सब अपीलार्थी से छिपाकर किया गया जिसकी उसे कोई जानकारी नहीं दी गई। यह निर्णय दिया गया कि पदच्‍युक्ति का आदेश नैसर्गिक न्‍याय के सिद्धान्‍तों का उल्‍लंघन करता है अत: असंवैधानिक है, इसे एक प्रारम्भिक रिपोर्ट नहीं कहा जा सकता है। इसके निष्‍कर्ष निश्चित है। यह एक प्रशासनिक रिपोर्ट नहीं है जहां कतिपय तथ्‍यों को इकट्ठा किया जाना है और एक नियमित विभागीय जांच के लिए सिफ‍ारिश किया जाना है। यह ऐसा मामला है जहां रिपोर्ट और जांच अधिकारी के उसके निष्‍कर्ष पदच्‍युक्ति आदेश के आधार हैं कि केवल हेतुक है। अत: निर्णय दिया गया कि पदच्‍युक्ति आदेश दण्‍डात्‍मक है और नैसर्गिक न्‍याय के सिद्धांतों की अवहेलना है अत अवैध है।  
मामले मे यह अभिनिर्धारित किया गया है कि वरिष्‍ठता का दावा तारीख से नहीं किया जा सकता है जिस दिन पद खाली होता है बल्कि उस दिन से किया जाता है जिस तारीख  को नियुक्ति की गई है। वरिष्‍ठता का निर्धारण नियुक्ति के वर्ष के आधार पर ही किया जाता है। अत: सीधे भर्ती और प्रोन्‍नत किए गए अभ्‍यर्थियों में आपसी वरिष्‍ठता का निर्धा‍रण के लिए वह वर्ष जिसमें पद रिक्‍त होता है और जिस पर नियुक्ति की जानी है इसके लिए कोई महत्‍व नहीं रखता है। परिवीक्षाधीन या  अस्‍थाई कर्मचारी भी कतिपय विधिक संरक्षण का हकदार है और उसकी सेवाएं मनमाने ढंग से और ही दण्‍डात्‍मक रीति से समाप्‍त की जा सकती है।   
अनुच्‍छेद 16 के अधीन अनिवार्य सेवा निवृत्ति के लिए युक्तियुक्‍त नियमों का विहित किया जाना प्रतिषिद्ध नहीं करता है। सरकारी सेवा से अनिवार्य सेवा निवृत्ति अनुज्ञात करने वाले के संबंध में है।  

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