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MY NOTES 247 जूनियर ज्‍यूडिशियल असिस्‍टेंट हिंदी मोक टाइपिंग टेस्‍ट

created Dec 19th 2024, 15:52 by 12345shiv


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राहत की प्रकृति को इस आदेश के भाग में अलग से निपटाया जाएगा। सबसे पहले यह आधार देरी को उचित ठराने के लिए सीमा अवधि की समाप्ति के बाद की घटनाओं का उपयोग करना चाहता है। सीमा अधिनियम की धारा 5 पर फिर से विचार करने के लिए, कानून का पाठ यह प्रदान करता है कि यदि अपीलकर्ता या आवेदक अदालत को संतुष्‍ट करता है कि उसके पास ऐसी अवधि के भीतर अपील या आवेदन करने के लिए पर्याप्‍त कारण थे, तो निर्धारित अवधि के बाद अपील या आवेदन स्‍वीकार किया जा सकता है। इसलिए, अपीलकर्ताओं को यह स्‍पष्‍ट करना आवश्‍यक है कि वे सीमा की निर्धारित अवधि के दौरान सतर्क थे और निर्धारित अवधि के भीतर उत्‍पन्‍न होने वाले पर्याप्‍त कारण के कारण अपील दायर नहीं कर सके। यह समझ अजीत सिंह ठाकुर बनाम गुजरात राज्‍य 33 के मामले में पूरी तरह से कवर की गई है जिसमें एक समान तथ्‍यात्‍मक स्थिति थी। फिर से, नामांतरण के लिए आवेदन करने या बिक्री विलेख के निष्‍पादन के एक वर्ष बाद तक आराजीदारी संपत्ति पर कब्‍जा लेने में चूक के बारे में विक्रेताओं द्वारा कोई संतोषजनक स्‍पष्‍टीकरण नहीं दिया गया। यह सब विक्रेताओं द्वारा किसी निर्धारित उद्देश्‍य से किया गया होगा और विक्रेताओं का एकमात्र उद्देश्‍य वादी को बिक्री के बारे में तब तक जानकारी से दूर रखना रहा होगा जब तक कि सीमा अधिनियम की अनुसूची 1 के अनुच्‍छेद 10 द्वारा निर्धारित सीमा अवधि समाप्‍त हो जाए। शिव शंकर बनाम प्रताप नारायण में इस न्‍यायालय की एक पीठ ने लगभग समान परिस्थितियों में माना कि वादी सीमा अधिनियम की धारा 18 के प्रावधानों का लाभ पाने के हकदार थे। उस मामले में पाया गया कि बिक्री विलेख उस तहसील में पंजीकृत होने के बजाय जिसमें संपत्ति स्थिति थी दूसरे जिले में पंजीकृत किया गया।

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