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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
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एक साधु था। वह रोज घाट के किनारे बैठकर जोर-जोर से बोलता रहता था। जो चाहोगे सो पाओगे, जो चाहोगे सो पाओगे। बहुत से लोग वहां से गुजरते थे, पर कोई भी उसकी बात पर ध्यान नहीं देता था। सब उसे एक पागल समझते थे। एक दिन एक युवक वहां से गुजरा ओर उसने उस साधु की आवाज सुनी,जो चाहोगे सो पाओगे। आवाज सुनते ही उसके पास चला गया। उसने साधु से पूछा महाराज आप बोल रहे थे कि जो चाहोगे सो पाओगे, तो क्या आप मुझको वो दे सकते हो, जो मैं चाहता हूं? साधु उसकी बात को सुनकर बोला, हां बेटा तू जो कुछ भी चाहता है। मैं उसे जरूर दूंगा, बस तुम्हे मेरी बात माननी होगी। लेकिन पहले यह तो बताओ कि तुम्हें आखिर चाहिए क्या। युवक बोला, मैं हीरो का बहुत बड़ा व्यापारी बनना चाहता हूं, साधु बोला, कोई बात नहीं, मैं तुम्हें एक हीरा और एक मोती देता हूं। उससे तुम जितने भी हीरे मोती बनाना चाहोगे बना पाओगे। ऐसा कहते हुए साधु ने अपना हाथ युवक की हथेली पर रखते हुए कहा, पुत्र मैं तुम्हें दुनिया का सबसे अनमोल हीरा दे रहा हूं। लोग इसे समय कहते, इसे तेजी से अपनी मुट्ठी में पकड़ लो। इसे कभी मत गंवाना, तुम इससे जितने चाहो उतने हीरे बना सकते हो। युवक अभी कुछ सोच ही रहा था कि साधु उसकी दूसरी हथेली पकड़ते हुए बोला, पुत्र इसे पकड़ो यह दुनिया का सबसे कीमती मोती है, लोग इसे धैर्य कहते है। जब कभी समय देने के बावजूद परिणाम ना मिले, तो इस कीमती मोती को धारण कर लेना। याद रखना जिसके पास यह मोती है, वह दुनिया में कुछ भी प्राप्त कर सकता है। युवक गम्भीरता से साधु की बातों पर विचार करता है और निश्चय करता है कि आज से वह कभी अपना समय बर्बाद नहीं करेगा। हमेशा धैर्य से काम लेगा। ऐसा सोचकर वह हीरों के एक बहुत बड़े व्यापारी के यहां काम शुरू कर देता है। अपनी मेहनत और ईमानदारी के बल पर एक दिन खुद भी हीरो का बहुत बड़ा व्यापरी बन गया।
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