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MY NOTES 247 जूनियर ज्‍यूडिशियल असिस्‍टेंट हिंदी मोक टाइपिंग टेस्‍ट

created Dec 13th 2024, 16:21 by 12345shiv


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प्रतिवादियों ने अपना जवाब दाखिल किया था और उन्‍होंने सभी रिट याचिकाओं में डब्‍ल्‍यू.पी. (तुलसीराम चादर बनाम मध्‍य प्रदेश राज्‍य और अन्‍य) में दाखिल रिटर्न को अपनाया था। यह प्रस्‍तुत किया गया था कि मध्‍य प्रदेश स्‍वामित्‍व अधिकार (मालिकाना हक) (इलाको, मोहल्‍ला, दुमल भूमि) का अंत करने का अधिनियम, 1950 के अनुसार, ग्राम कोटवार के पास दो प्रकार की भूमि है, एक ग्राम सेवा के लिए और दूसरी मालगुजारों की व्‍यक्तिगत सेवा के लिए। यदि मालगुजारों द्वारा कोटवार को निजी सेवा के लिए भूमि दी गई थी, तो उक्‍त कोटवार अधिनियम, 1950 की धारा 45(3) के अनुसार दखलदार काश्‍तकार होगा और जो भूमि कोटवारों को ग्राम सेवा के लिए दी गई थी, तो वह राज्‍य से सेवा भूमि के रूप में काबित है और यह मध्‍य प्रांत काश्‍तकारी अधिनियम, 1920 के द्वारा शासित होगी। ग्राम सेवा के लिए कोटवार को दी गई सेवा भूमि के मामले में, वह दखलदार काश्‍तकार का दर्जा प्राप्‍त नहीं करेगा और वह ऐसी भूमि पर कोई अधिकार प्राप्‍त नहीं करता है और उक्‍त भूमि कोटवार के पद से जुड़ी हुई है। याचिकाकर्ता मालगुजारों/जमींदारों की ओर ग्राम सेवा के लिए भूमि पर काबित है और उक्‍त व्‍यवस्‍था के उन्‍मूलन के बाद, सभी भूमि राज्‍य की थी, इसलिए, याचिकाकर्ता दखलदार काश्‍तकार नहीं है और उन्‍हें भूमि स्‍वामी अधिकार प्रदान नहीं किए गए है, इसलिए रिट याचिकाएं खारिज की जाएं। उक्‍त परिपत्र में कलेक्‍टर को नजूल क्षेत्र में स्थित सेवा भूमि की प्रविष्टियां म.प्र. राज्‍य के नाम से राजस्‍व अभिलेख में करने के निर्देश दिए गए थे। उक्‍त कार्रवाई म.प्र. भू-राजस्‍व संहिता 1959 के प्रावधानों के अनुसार की जानी है। ऐसी कार्रवाई करते समय यह विचार किया जाना है कि कोटवार के लिए अन्‍य शासकीय भूमि उपलब्‍ध है अथवा नहीं। यदि सेवा भूमि को नगर पंचायत, नगर पालिका एवं नगर निगम क्षेत्रों में अधिसूचना द्वारा शामिल किया गया है।
 

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