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created Dec 8th, 09:40 by entertainmentBabaji
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विरोधी पक्षकार संख्या 1, 2 और 3 तीन प्रतिवादियों के रूप में लिखित कथन फाइल करके वाद का विरोध किया है। उक्त प्रतिवादियों ने अपने लिखित कथन में वादी के इस अभिकथन से प्रबल रूप से इन्कार किया है कि उन्होंने तारीख 30 सितम्बर 2009 को वाद सम्पत्ति से वादी को बलपूर्वक बेकब्जा किया था, उक्त प्रतिवादियों ने अपने लिखित कथन में स्पष्टतया कथन से भी इन्कार किया है कि वादी उक्त सम्पत्ति का किरायेदार है। और वह एक किरायेदार का के रूप में संपत्ति पर कब्जा था। वाद में आवेदक ने यह अभिकथित किया है कि वह उक्त सम्पत्ति का तीन सौ रुपये की मासिक की दर से किरायेदार है जो अंग्रेजी कलेण्डर मास के अनुसार लव, संदीप को देय है और तारीख 30 जनवरी 2019 के करार के आधार पर श्री एस.मुख्तार (अब मृतक) विरोधी पक्षकार संख्या से का हिताधिकारी है। आवेदक ने वाद में यह अभिकथित किया है कि उसे प्रतिवादी संख्या 1, 2 और 3 द्वारा तारीख 30.2019 को वाद सम्पत्ति से उसकी सम्मति के बिना और विधि के सम्यक् प्रक्रिया के बिना बेकब्जा किया गया है, आवेदक ने बेकब्जा, किये जाने के तुरंत पश्चात वाद सम्पत्ति से बेकब्जा करने के बारे में शिकायत करते हुए पुलिस अधिकारियों के समक्ष लिखित परिवाद संस्थित किया है। शादी के चार साल से भी कम समय में, गीता बाई ने अपने ससुराल में मिट्टी का तेल डालकर और खुद को आग लगाकर आत्महत्या कर ली। उसे 20 मार्च, 2002 को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, बड़ौदा में जली हुई हालत में भर्ती कराया गया था और उसी दिन उसने अंतिम सांस ली। उस समय वह पांच माह की गर्भवती थी। उपस्थित चिकित्सक से सूचना मिलने पर 23 मार्च, 2002 को प्राथमिकी दर्ज की गई (एक्जिबिट पी-13) जांच पूरी होने पर आरोप पत्र दाखिल किया गया और मामला सत्र न्यायालय में सुनवाई के लिए प्रतिबद्ध किया गया।
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