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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 (( जूनियर ज्यूडिशियल असिस्टेंट न्यू बेच प्रारंभ ))संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Dec 7th, 04:16 by lucky shrivatri
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दुनिया में ऐसा कोई स्थान ढूंढना मुश्किल है जो पूरी तरह से अपराध मुक्त हो। कुछ देशों में अपराध दर बहुत अधिक है, जिसके पीछे गरीबी, शिक्षा की कमी, बेरोजगारी की उच्च दर, सरकार द्वारा नियंत्रण तंत्र की कमी जैसी कई वजहें हैं। वहीं कुछ अन्य देशों ने विभिन्न नीतियों, नियमों और कानूनों के माध्यम से अपराधों को नियंत्रित करने में सफलता पाई है। यह तथ्य नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि कई देशों में अनिश्चित आर्थिक स्थिति और सामाजिक असुरक्षा जैसे कारणों से अपराधों में लगातार वृद्धि हुई है। स्विट्जरलैड, डेनमार्क, नॉर्वे और जापान जैसे देशों में प्रभावी कानूनों की उपस्थिति के कारण अपराध दर बहुत कम है।
भारत में अपराध की स्थिति चिंताजनक है। अधिकांश अपराध संपत्ति के अधिकारों पर आधारित होते हैं, इसके बाद महिलाओं के खिलाफ अपराध होते है। यहां तक कि सबसे सुरक्षित माने जाने वाले शहरों में से एक कोलकाता भी अब उन शहरों की श्रेणी में आ गया है जहां महिलाएं कार्यस्थलों पर असुरक्षित हो गई है। ये अपराध क्यों होते है और हम भारत में इन अपराधों को कैसे रोक सकते है? सबसे पहले यह समझना महत्वपूर्ण हैं कि ये अपराध किस सामाजिक व्यवस्था में हो रहे है। हाल ही एक प्रमुख चिंता यह बन गई है कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों को कैसे कम किया जाए।
संवैधानिक प्रावधानों के माध्यम से कड़े कानून पुलिस अधिकारियों के लिए संवेदनशीलता और उन्मुखीकरण कार्यक्रम जैसे कई उपाय किए गए है। फिर भी अपराध कम नहीं हुए है। दरअसल समकालीन समाज का एक प्रमुख संकट मूल्यहीनता की कमी है। हम तेजी से एक डिजिटल दुनिया की ओर बढ़ रहे हैं, जहां हम परिवार के बंधनों और दोस्ती के संबंधों से दूर हो रहे है। अधिकांश मामलों में अपराध करने के बाद भी अपराधी अपने कृत्य के लिए शर्मिदगी महसूस नही करते। अपराधों के लिए त्वरित न्याय और भ्रष्टाचार से पूरी तरह छुटकारा केवल मजबूत सरकारी नियंत्रण से ही संभव हो सकता है।
भारत में अपराध की स्थिति चिंताजनक है। अधिकांश अपराध संपत्ति के अधिकारों पर आधारित होते हैं, इसके बाद महिलाओं के खिलाफ अपराध होते है। यहां तक कि सबसे सुरक्षित माने जाने वाले शहरों में से एक कोलकाता भी अब उन शहरों की श्रेणी में आ गया है जहां महिलाएं कार्यस्थलों पर असुरक्षित हो गई है। ये अपराध क्यों होते है और हम भारत में इन अपराधों को कैसे रोक सकते है? सबसे पहले यह समझना महत्वपूर्ण हैं कि ये अपराध किस सामाजिक व्यवस्था में हो रहे है। हाल ही एक प्रमुख चिंता यह बन गई है कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों को कैसे कम किया जाए।
संवैधानिक प्रावधानों के माध्यम से कड़े कानून पुलिस अधिकारियों के लिए संवेदनशीलता और उन्मुखीकरण कार्यक्रम जैसे कई उपाय किए गए है। फिर भी अपराध कम नहीं हुए है। दरअसल समकालीन समाज का एक प्रमुख संकट मूल्यहीनता की कमी है। हम तेजी से एक डिजिटल दुनिया की ओर बढ़ रहे हैं, जहां हम परिवार के बंधनों और दोस्ती के संबंधों से दूर हो रहे है। अधिकांश मामलों में अपराध करने के बाद भी अपराधी अपने कृत्य के लिए शर्मिदगी महसूस नही करते। अपराधों के लिए त्वरित न्याय और भ्रष्टाचार से पूरी तरह छुटकारा केवल मजबूत सरकारी नियंत्रण से ही संभव हो सकता है।
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