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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 ( जूनियर ज्‍यूडिशियल असिस्‍टेंट के न्‍यू बेंच प्रारंभ) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Dec 6th, 04:08 by lovelesh shrivatri


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मानव स्‍वास्‍थ्‍य को बेहतर बनाने के लिए पिछले बरसों में दुनिया भर में चिकित्‍सा विज्ञान के क्षेत्र में काफी प्रयास हुए है। इन प्रयासों का नतीजा औसत उम्र बढ़ने के रूप में सामने भी है। लेकिन स्‍वास्‍थ्‍य के लिए हानिकारक खान-पान को गले लगाकर ऐसे प्रयासों को विफल करने का काम भी कम नहीं हो रहा। चॉकलेट से लेकर कोल्‍ड ड्रिंक तक बिस्‍कुट से लेकर भुजिया तक और दूसरे पैकेज्‍ड फूड में निर्धारित मानव से ज्‍यादा पाई जाने वाली शुगर फैट की मात्रा मरीजों की संख्‍या में बेतहाशा बृद्धि कर रही है। चिंता की बात है कि ऐसे खान-पान पर कानूनी अंकुश लगाने के प्रयास हमारे यहां भी विशेष नहीं हो रहे।  
पोषण पर काम करने वाले गैर सरकारी न्‍यूटिशन एडवोकेसी इन पब्लिक इंटरेस्‍ट का अध्‍ययन सचमुच चौकाने वाला है जिसमें यह पाया गया है कि 43 पैकेज्‍ड फूड में से एक तिहाई में शुगर फैट और सोडियम की मात्रा तय मानकों से अधिक थी। इस अध्‍ययन के नतीजों को देखें तो भारत भी लोगों के खान-पान में रहे बदलाव को लेकर चिंता होना स्‍वाभाविक है। ऐसा इसलिए भी कि तमाम अध्‍ययनों से लेकर विशेषज्ञों की राय यही उभर कर सामने आई है कि नमक और चीनी से भरपूर खाद्य पदार्थ दिल से जुड़े रोगों का खतरा बढ़ा सकते है।  
सीधे तौर पर यह कहा सकता है कि दिल को स्‍वस्‍थ रखने के लिए खान-‍पान की तरफ ध्‍यान देना जरूरी है। अंक फूड का अधिक सेवन बच्‍चों के लिए ज्‍यादा घातक साबित हो रहा है। लुभावने विज्ञापन बच्‍चों को जंक फूड की तरफ जिस तरह आकर्षित करते हैं, अभिभावकों के लिए भी बच्‍चों को जंक फूड से दूर रखना मुश्किल हो जाता है। चिकित्‍सक यह बताते तो हैं कि स्‍वस्‍थ रहने के लिए हमें डाइट में नमक, चीनी और तेल की मात्रा सही लेनी चाहिए लेकिन दैनिक खान-पान से जुड़ी ये चीजें कितनी मात्रा में लेनी चाहिए इसका अधिकांश लोगों को पता ही नहीं होता। बदलती जीवनशैली से खान-पान में बदलाव तो खूब हो गया लेकिन लोगों की शारीरिक श्रम, व्‍यायाम आदि करने की आदत छूटती जा रही है।

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